प्रलयंकारी बाढ़ को झेलते हुये भी सीना ताने खड़ा है CRPF का शौर्य वन!

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:- रागिनी शर्मा!

गंगा में आई भयानक बाढ़ की त्रासदी को झेलने के बाद भी सीआरपीएफ क का शौर्य वन अपने नाम के अनुरूप शौर्य का प्रदर्शन करता हुआ सीना ताने खड़ा है।
शौर्य वन का यूँ खड़े रहना इस बात का प्रतीक है कि परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी विपरीत क्यूँ ना हो साहस और धैर्य के साथ हर विपरीत परिस्थितियों पर विजय पाई जा सकती है।
सीआरपीएफ मोकामा घाट में गंगा की गोद मे पिछले वर्ष इस शौर्य वन की स्थापना डीआईजी सुनीत कुमार राय की अगुआई में शहीदों के परिजनों और बच्चों के द्वारा की गई थी।
30 हजार स्कवायर फ़ीट में फैले इस वनक्षेत्र में दो दर्जन से अधिक पेड़ पौधों की प्रजातियों को लगाया गया था, जिसकी कुल संख्या 6 हजार से भी अधिक है।
डीआईजी सुनीत कुमार राय और उनकी पत्नी श्रीमति प्रतिभा राय खुद पर्यावरण प्रेमी हैं और इस वनक्षेत्र की बच्चे की तरह देखरेख करते हैं।
इसका परिणाम ये हुआ कि महज एक साल में कई पौधों ने पेड़ का रूप धारण कर लिया।
उन्होंने बताया कि इस वनक्षेत्र की स्थापना में उन्नत जापानी मियावकी तकनीक का प्रयोग किया गया है।
इस तकनीक के तहत कम क्षेत्रफल में अधिक पेड़ लगाये जाते हैं, और ये एक घना वनक्षेत्र होता है।
ये तकनीक भारत मे तेजी से अपनाई जा रही है। इसका फायदा ये है कि कम क्षेत्रफल में भी आप इस तकनीक का प्रयोग कर अधिक पेड़ लगा सकते हैं और पर्यावरण की सुरक्षा में अपना योगदान दे सकते हैं।
शौर्य वन इसका एक उदाहरण है जिससे आम लोग भी प्रेरणा लेकर इस तकनीक के साथ कम क्षेत्रफल में अधिक से अधिक वृक्षारोपण कर पर्यावरण की सुरक्षा में अपना बहुमूल्य योगदान दे सकते हैं। मियावाकी तकनीक के कारण ये विपरीत परिस्थितियों को भी झेलने में सक्षम है। यही कारण है कि सबसे भयानक बाढ़ को झेलने के बाद भी आज शौर्य वन साहस के साथ खड़ा है और आसमान की बुलंदियों को छू लेने को तत्पर है।

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