रिपोर्ट- अभिषेक कुमार!
सेंट्रल जेल में फिर मोबाइल: जेल में नहीं थम रहा मोबाइल का खेल, नवंबर महीने में बंदियों का बात करते वीडियो तो दिसंबर में सेल्फ़ी लेते फ़ोटो हो रहा वायरल, आईजी ने कहा- पहले भी मिली शिकायतें, होगी गंभीरता से जांच
गया सेंट्रल जेल के अंदरखाने में बड़ा खेल चलता है। हालिया नवंबर महीने में ही जेल से बंदियों का मोबाइल फ़ोन से बात करते वीडियो वायरल हुआ था। इस वीडियो के वायरल होने के एक महीने ही हुए हैं कि अब बंंदियों के सेल्फ़ी वाला फोटो वायरल हो रहा है। जेल में बंदी फ़ोन से बात करते हीं हैं अब आराम से अपनी सेल्फ़ी ले रहे हैं। यह अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। हालांकि, यह सेल्फ़ी वाला फ़ोटो कब का है, इसकी स्पष्ट पुष्टि नहीं है, लेकिन यह स्पष्ट हो गया है, कि जेल में मोबाइल का बड़ा खेल हो रहा है। इधर इस मामले को लेकर मगध प्रक्षेत्र के आईजी क्षत्रनील सिंह ने कहा है, कि पूर्व में भी इस तरह की शिकायतें मिली थी अब फ़िर से इस तरह का मामला सामने आया है, तो इसकी गंभीरता से जांच की जाएगी।
गया सेंट्रल जेल के अधिकारियों की कार्यशैली हालिया दिनों में संदिग्ध रही है। कई तरह के मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें जेेल अफसरों की कार्यशैली पर उंगली उठती रही है। पिछली बार नवंबर महीने में ही गया सेंट्रल जेल के वार्ड से मोबाइल फ़ोन से बात करते हुए बंदियों का वीडियो वायरल हुआ था। इस वायरल वीडियो को लेकर रामपुर थाने में एसएसपी आशीष भारती के निर्देश पर जेल प्रशासन ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी। वहीं, गया सेंट्रल जेल के अधीक्षक और उपाधीक्षक को नसीहत भी दी गई थी, लेकिन इसका प्रभाव नहीं पड़ता दिख रहा। क्योंकि एक बार फ़िर से अब बंदियों का सेल्फी वाला फोटो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। सोर्स के अनुसार जेल के अंदर मोबाइल से यह सेल्फी बंदियों के द्वारा ली गई है।
गया सेंट्रल जेल में मोबाइल का बड़ा हथकंडा है।यहां से बड़े-बड़े लोगों को धमकियां दी जाती रही है।चाहे अधिकारी हो नेता या फिर व्यवसाई, जेल के अंदर से फोन कर इन्हें धमकी देने का सिलसिला चलता रहा है। इस तरह सिलसिले को कहीं न कहीं पनपाया जा रहा है।क्योंकि बंदियों के पास मोबाइल फोन होने की लगातार कई तरह के तथ्य सामने आ रहे हैं। हाल में जिस तरह से जेल के अंदर बंदियों के मोबाइल से बात करने का वीडियो वायरल हुआ, उसके बाद रामपुर थाने में केस दर्ज जरूर हुआ, लेकिन कोई प्रोग्रेस अनुसंधान में नहीं दिखा। नतीजतन सेंट्रल जेल के अंदर से बंदियों के मोबाइल का उपयोग करने का सिलसिला सुचारू रूपसे जारी है, जो कि कभी भी ख़तरनाक साबित हो सकता है। क्योंकि यहां एक से बढ़कर एक कुख्यात अपराधी और हार्डकोर नक्सली बंद है।ऐसे में जेल की सुरक्षा को लेकर भी निष्क्रियता दिखाई जा रही है।
बता दे कि हाल में जेल से बंदियों का मोबाइल से बात करते वीडियो वायरल होने के बाद एसएसपी आशीष भारती ने इसे काफ़ी गंभीरता से लिया था।इस मामले की जांच करने के लिए सिटी एसपी को सेंट्रल जेल भेजा गया था। सेंट्रल जेल में जांच के बाद सिटी एसपी प्रेरणा कुमार के निर्देश पर रामपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज हुई थी।जेल प्रशासन के द्वारा प्राथमिकी दर्ज हुई थी। रामपुर थाने में आईटी एक्ट 52 व 66 के तहत दर्ज प्राथमिकी 617/24 कांड संख्या के बावजूद जेल प्रशासन की लचरता का हीं नतीजा है, कि जेल से मोबाइल से बात करने, और मोबाइल से सेल्फी खींचने जैसे संगीन अपराध हो रहे हैं, जिससे जेल की सुरक्षा को भी खतरा है। इस तरह से जेल प्रशासन पर पुलिस के वरीय अधिकारियों द्वारा दी गई नसीहत का भी कोई प्रभाव देखने को नहीं मिल रहा है। गौरतलब हो कि गया सेंट्रल जेल से कुख्यात अपराधी अंकुर चौबे ने मुजफ्फरपुर के व्यवसाई से रंगदारी की मांग की थी, नहीं देने पर जान मारने को धमकाया था। इस तरह की घटना के बाद भी जेल प्रशासन नहीं चेता।इससे पहले टिकारी के एसडीएम को भी धमकी दी गई थी। वहीं इस तरह के कई मामले हैं, जो स्पष्ट करते हैं, कि गया सेंट्रल जेल से मोबाइल से धमकी देने की घटना होती रही है, जो बदस्तूर जारी है। बता दें कि जेल सुपरिटेंडेंट के बाद जेल के कर्ताधर्ता जेलर की होती है। वर्तमान जेलर राजेश कुमार सिंह की कार्यशैली को लेकर ज़िला प्रशासन ने उनके स्थानांतरण के लिए मुख्यालय को पहले हीं अनुशंसा कर चुकी है। उक्त पत्र में चर्चा की गई है कि जुलाई 24 में सेंट्रल जेल में जेलर राजेश कुमार सिंह ने योगदान दिया था उसके बाद से हीं उनकी कार्यशैली संदिग्ध है। इनका स्थानांतरण किया जाए।
वहीं, इस मामले को लेकर मगध प्रक्षेत्र के आईजी क्षत्रनील सिंह का कहना है, कि पूर्व में भी इस तरह की शिकायत आ चुकी है। इस बार भी इस तरह का मामला सामने आया है, तो इसकी गंभीरता से जांच की जाएगी। पहले भी वरीय अधिकारियों द्वारा जेल प्रशासन को चेताया गया है।पूरे मामले की जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
रिपोर्ट अभिषेक कुमार
गया