रिपोर्टर — राजीव कुमार झा
मधुबनी जिले के विभिन्न शिवालयों में सावण माह के पहले सोमवार को श्रध्दा और भक्ति का सैलाब उमड़ते देखा गया। मिथिला के प्रसिध्द देवघर माने-जाने वाले रहिका प्रखंड स्थित कपालेश्वर, सौराठ गांव के सोमनाथ , माधवेश्र्वर नाथ, से लेकर बेनीपट्टी प्रखंड के गाण्डेश्वर, बेणेश्वर, हरलाखी प्रखंड के कल्याणेश्वर, जयनगर के शिलानाथ, बिस्फी के भैरवा, पंडौल के उग्रनाथ, कलुआही के बतहू नाथ, राज राजेश्वरी, झंझारपुर के बिंदेश्वर , शांतिनाथ महादेव, बाबा पंचा नाथ, न्यायधीश्र्वर महादेव, सहित दर्जनों मंदिरों में जहां पवित्र नदियों से जल भर कर कई किलोमिटर का पैदल यात्रा कर शिवालय पहूंचने के बाद कांवरियों ने अहले सुबह से शिव लिंग पर जलाभिषेक किया। वही मंदिरों में शिव भक्तों आना जाना लगा रहा। श्रावणी मेले को लेकर जगह जगह मंदिर कमेटी से लेकर पंडा व पूजारी यों के द्वारा जहां मंदिर को आकर्षक रूप में सजाया गया है। पहले सोमवारी को श्रध्दालुओं के जय कारें , हर हर महादेव, बोल बम के जय घोष से वातावरण भक्ति मय वना रहा। वही मंदिरों में पूजा व दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को कोई कठिनाई ना हो इसे देखते हुए पुख्ता तैयारी किया गया है। तो वही जिला प्रशासन के द्वारा भी काफी चाक चौबंद व्यवस्था की गई है। जगह जगह पुलिस और मजिस्ट्रेट को तैनात किया गया है। 500 मजिस्ट्रेट एवं पुलिस पदाधिकारी के देख रेखा में काफी संख्या में पुलिस बल को इस कार्य के लिए लगाया गया है। जयनगर के कमला नदी, बिस्फी के बलहा सहित विभिन्न जलाशयों में मोटर बोट सहित एन डी आर एफ और एस डी आर एफ की टीम को संभावित खतरे से निपटने को देखते हुए लगाया गया है। इतना ही नहीं मंदिरों से लेकर अन्य चिन्हित जगहों पर सि सी टी भी कैमरा और वीडियो कैमरा के माध्यम से निगरानी की जा रही है। श्रावणी मेले को लेकर जिला पदाधिकारी अरविंद कुमार वर्मा, आरक्षी अधीक्षक शुशील कुमार स्वयं सक्रिय दिखाई दे रहे हैं। वही प्रशासन द्वारा नियंत्रण कक्ष स्थापित कर सूचना दिए जाने को लेकर व्यापक व्यवस्था किया गया है। पुरे सावन माह जिले भर का वातावरण भक्तिमय और शिवमय बना रहेगा। लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का शिवालयों में पहूंचना और भोले शंकर के शिव लिंग पर जलाभिषेक, पूजा व दर्शन कर मनवांछित फल प्राप्त करने को लेकर प्रार्थना करने का सिलसिला जारी रहेगा। ऐसा हो भी क्यों ना ये धरती प्राचीन समय से शिव उपासकों का रहा है। तो यहां रामायण और महाभारत कालीन या यों कहें की उस से भी प्राचीन शिव मंदिरों का होना भी भक्तों को अपने तरफ आकर्षित करता है। इतिहास गवाह है कि यहां साक्षात शिव को बार बार आना पड़ा है। जहां उगना के रुप में बाबा विद्यापति के यहां चाकर के रूप में भोले शंकर की कथा जगजाहिर है। तो वही पंडौल प्रखंड के सेरसोपाही गांव में पूत्र के रूप में लगातार सात वर्षों तक अयाची मिश्र के धर रहने का प्रमाण अज भी मौजूद है। वैसे भी प्राचीन काल से ही सम्पूर्ण मिला की धरती शिव उपासकों की रही है। तो सावन के इन पवित्र महीने में शिव भक्ति से सराबोर होना स्वाभाविक ही है।