प्रशान्त कुमार की रिपोर्ट :
बेगूसराय बरौनी रिफाइनरी के कर्मचारियों के बीच कामकाज में हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए हर वर्ष 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस का आयोजन किया जाता है। कोरोला काल को देखते हुए इस बार विश्व हिन्दीे दिवस समारोह का आयोजन ऑनलाइन किया गया इस कार्यक्रम की अध्यक्षता बरौनी रिफाइनरी की कार्यपालक निदेशक एवं रिफाइनरी प्रमुख शुक्ला मिस्त्री ने की। इस अवसर पर ब्रांड निर्माण में हिन्दी की भूमिका विषय पर एक ऑनलाइन व्याख्यान रखा गया। वक्ता के रूप में डॉ अजीत पाठक, राष्ट्रीय अध्यक्ष, पीआरएसआई, भूतपूर्व महाप्रबंधक-प्रभारी (कॉर्पोरेट संचार, प्रशासन एवं कल्याण), रिफाइनरीज़ मुख्यालय को आमंत्रित किया गया था। इस अवसर पर श्री तरुण कुमार बिसई, महाप्रबंधक (मानव संसाधन) ने सभी का स्वागत किया। और कार्यक्रम की प्रस्तावना रखी तथा विश्व हिन्दी दिवस की महत्ता पर प्रकाश डाला । सुश्री मिस्त्री ने अपने संबोधन में कहा कि ‘हिन्दी में मन की व्यथा, कथा और भावों को व्यक्त करने की अनुपम क्षमता है। हिन्दी हमारी मातृ भाषा है और इसमें मन की बात करना सबसे सरल एवं सहज है। हमारे लिए गर्व की बात है कि पूरे विश्व में आज हिन्दी सबसे ज्यादा सीखी जाने वाली भाषा है। देश के विकास में महती भूमिका निभा रही है हिन्दी। अंग्रेजी और चीनी भाषा के बाद हिन्दी विश्व प्रिय है। आज हिन्दी स्वतः स्फूर्त भाव से विश्व भाषा बनने की ओर अग्रसर है। इस प्रयास में हिन्दी जनपूर्ण हो जाती है। ग्राहक संतुष्टि के लिए भी आज हिन्दी भाषा का महत्व और भी बढ़ गया है। कई बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ हिन्दी को अपना रही हैं। इन्टरनेट पर भी हिन्दी में पठन पाठन करना अब सुलभ हो गया है। इंडियन ऑयल में 2021 को अवसरों का वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। हम सभी बरौनी रिफाइनरी के सभी साझेदारों, ग्राहकों और कर्मचारियों को ये विश्वास दिलाए कि वे अपना कामकाज निःसंकोच भाव से हिन्दी में कर सकते हैं। आइए हम सब मिलकर सभी में हिन्दी में काम करने का भरोसा पैदा करें और अवसरों के वर्ष की शुरुआत इसी के साथ करें। तकनीकी ने हमें अवसर दिया है कि हम सभी अपने कार्यालयों में भी सुगमता के साथ हिन्दी का प्रयोग कर सकें। आब बात केवल फोनेटिक टाइपिंग तक ही सीमित नहीं है, आज आप बोल कर भी हिन्दी टाइप कर सकेतें हैं। राजभाषा विभाग का हमेशा से इस बात पर ज़ोर रहा है कि सरल भाषा का, आम जनमानस की भाषा का प्रयोग किया जाए। भाषा तो भावों की अभिव्यक्ति का माध्यम है। बस हमारे मन में भाव होना चाहिए कि हमें हिन्दी में काम करना है, हिन्दी भाषा इतनी सरल और सहज है कि इसका प्रयोग आसानी से किया जा सकता है। हिन्दी मन के करीब की भाषा है, मन के नजदीक की चीजों की धमक अलग होती है। ऐसे में हमें हिन्दी के प्रयोग में संकोच करने के बजाए गर्व के साथ इसके उपयोग को बढ़ाना है।
ब्रांड निर्माण में हिन्दी की भूमिका विषय पर अपने व्याख्यान में डॉ. अजीत पाठक ने कहा कि भारत विश्व का सबसे तेजी से विकसित होने वाला देश है। विदेशी कम्पनियॉं भारत में व्ययवसाय करने के लिए हिन्दी के प्रयोग पर बल दे रही है । ब्रांड भले ही अंग्रेजी में होता है लेकिन उसकी पंच लाइन हिन्दी से ली गई होती है। इससे पता चलता है कि हिन्दी की जन स्वीकार्यता कितने बृहद स्तर पर है। कोई भी ब्रांड अगर भारत में अपनी पैठ बनाना चाहता है तो उसे हिन्दी को अपनाना ही होगा। अतः यह आवश्यक है कि कामकाज में हिन्दी का अधिक से अधिक प्रयोग करें ताकि ब्रांड को हर तबके तक पहुंचा सकें। किसी भी संस्थान के कर्मचारी उस संस्थान के सबसे बड़े ब्रांड अंबेसडर होते हैं, वो जितना काम हिन्दी में करेंगे, कंपनी का ब्रांड नाम उतना ही सुदृढ़ होगा। ऐसे में हमें गर्व और प्रेम से हिन्दी को बढ़ावा देना चाहिए।
इस अवसर पर कर्मचारियों और उनके आश्रितों के लिए हिन्दी पत्र लेखन, हिन्दी लेख, हिन्दी नारा, कविता पाठ, हिन्दी टाइपिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अनिल कुमार, महाप्रबंधक-प्रभारी (मानव संसाधन), अभिनव गोस्वामी, महाप्रबंधक (सामाग्री एवं संविदा), ए के सोरेंग, महाप्रबंधक (सूचना प्रणाली), उपमहाप्रबंधकगण, बड़ी संख्या में अधिकारी एवं कर्मचारी तथा बरौनी नराकास के सदस्य कार्यालय ऑनलाइन प्लैटफ़ार्म से जुड़े थे।