ब्यूरो रिपोर्ट शंखनाद:
राष्ट्रीय दलित मानवाधिकार अभियान सह दलित आर्थिक अधिकार आंदोलन के तत्वाधान में नवादा के अम्बेडकर पुस्तकालय में प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया . प्रेस वार्ता में राष्ट्रीय दलित मानवाधिकार अभियान के राज्य समन्वयक धर्मदेव पासवान ने बताया कि मोदी सरकार देश भर में 62 लाख गरीब एएसी/एसटी को लाभ देने वाली 76 वर्ष पुरानी पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति (पीएमएस) योजना को बंद करने जा रही है । केंद्रीय सरकार की यह योजना बिहार, पंजाब, महाराष्ट्र सहित 14 से अधिक राज्यों में लगभग बन्द हो गई है । और 2017 के एक फार्मूले के तहत राज्यों का राशि जारी नहीं कर रही है । हालांकि रिपोर्ट्स से पता चलता है कि केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए पीएमएस योजना के तहत फंडिंग पैटर्न के संसोधन के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया है जिसके अनुसार केंद्र और राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के बीच कमिटेड लाईबलिटी की बजाय फिक्स शेयरिंग रेसियो का नियम लागू होगा। एम एस जे ई भारत सरकार के माननीय राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया ने भी 16 जुलाई 2019 को संसद के प्रश्न संख्या -3 /862 की अपनी प्रतिक्रिया में यही बात कही । शेयरिंग रेसियो की शिफ्टिंग पीएमएस योजना को लागू करने की आर्थिक जिम्मेदारी राज्य के संसाधनों पर डाल देगी । पासवान ने यह कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स से यह भी पता चलता है कि हाल ही में पीएमओ की बैठक कमिटेड लाईबलिटी के 2017-18 के युग की समाप्ति हुई है । जिसके परिणामस्वरूप 2018 में केवल 10%केंद्रीय हिस्सेदारी 90% राज्यों के शेयर थे। 12वें वित्त आयोग (एफसी)के दौरान प्रतिबद्ध देयता (कमिटेड लाईबलिटी ) 60% केंद्रीय हिस्सा और 40%राज्य का हिस्सा थी इस 12वें एफसी के दौरान कुल केन्दीय हिस्सा (10%) और राज्य का हिस्सा (90%) था । लेकिन 14वीं एफसी अबधि में यह केंद्रीय हिस्सा काफी कम हो गया (10%) और राज्य का हिस्सा 90% ।
अब राज्यों के लिए स्वम के संसाधनों से 90%वित्त का प्रबंधन कर छात्रवृति की प्रतिपूर्ति करना सबसे बड़ी बाधा बन गया है । साथ ही उन्होंने पहली योजनाओं को लागू करने में असमर्थता व्यक्त की है । रजनी कुमारी ने कहा कि कई राज्य सरकार जैसे पंजाब, हरियाणा, महारष्ट्र,बिहार बार – बार इस मुद्दे को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार के पास ले चुके हैं । इसलिए हम यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल आधार पर मांग करते हैं कि संबैधानिक गारंटी के तहत देश के 62 लाख से अधिक गरीब एससी/एसटी छात्रों को शैक्षिणक न्याय मिले ।
हमारी माँगे :-
- केंद्र को तुरंत आवश्यक धन राशि आवंटित करने और 62 लाख एससी /एसटी छात्रों को तुरंत लाभान्वित करने के लिए पीएमएस योजना को जारी रखने की अपनी प्रतिबध्दता घोषणा की जाय ।
- प्रतिबद्ध दायित्व (कमिटेड लाईबलिटी) प्रणाली को समाप्त किया जाय और केंद्र और राज्यो के बीच 60:40 की हिस्सेदारी को तत्काल प्रभाव से पीएमएस योजना के लिए लागू किया जाय
3.62 लाख एससी/एसटी छात्रों को उचित छात्रवृति सुनिश्चित करने के लिए सभी पात्र छात्रों की पीएमएस की माँग को पूरा करने के लिए प्रतिवर्ष केंद्रीय आवंटन को बढ़ाकर 10 हजार करोड़ रुपिया किया जाय । - सभी पात्र छात्र हर शैक्षिणक वर्ष के अंत में अपनी उचित छात्रवृत्ति प्राप्त करे यह सुनिश्चित करने के लिए समयबद्ध शिकायत प्रणाली हो जो कि अस्वीकार किये गए पीएमएस आवेदन और विलंबित प्रतिपूर्ति जैसी छात्रों की समस्या का हल निकाले ।
- सभी एससी/एसटी छात्रों के लिए वर्तमान ढाई लाख की वजाय पात्रता मानदंड को बढ़ाकर 8 लाख किया जाय ।
- सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय को सी.पी.आई ( उपभोक्ता मूल्य सूचकांक और मौजूदा मुद्रास्फीति के आधार पर मासिक पीएमएस राशि की ईकाई को बढ़ाना चाहिए ताकि यह सुनिष्चित किया जा सके कि खर्चों की उभरती जरूरत ठीक से पूरी हो ।
7.सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय और जनजातीय मामलों का मंत्रालय भारत सरकार बेहतर निगरानी प्रणाली स्थापित करे और यह सुनिश्चित करे कि राज्य सरकार की मांगो को समय पर सुना जाय और उनके खाते में धनराशि जारी किया जाय । प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल कुमार, सुबोध कुमार रविदास, बिष्णुदेव पासवान , गोपी रविदास, मनोज पासवान, रुक्मिणी देवी सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।