पंकज कुमार ठाकुर के साथअनुप कुमार शंखनाद डेक्स
साल 2020 में राजनीतिक जगत से लेकर सिनेमा और अन्य क्षेत्र की कई नामचीन हस्तियों का निधन हो गया. कुछ का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया तो कुछ को कोरोना वायरस ने हमसे छीन लिया. एक उभरते सितारे ने खुदकुशी भी कर ली.
सुशांत सिंह राजपूत:
बॉलीवुड के युवा और उभरते अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने 14 जून, 2020 को आत्महत्या कर ली थी. बांद्रा स्थित एक अपार्टमेंट में उनके घर में उनकी लाश छत से लटकती हुई मिली थी. बिहार के रहने वाले युवा अभिनेता के 34 साल में ही दुनिया को अलविदा कहने से बॉलीवुड के साथ-साथ उनके फैन्स को गहरा सदमा लगा है. उनके परिजनों से लेकर फैन्स ने उनकी आत्महत्या पर संदेह जताया और उसकी सीबीआई जांच की मांग की. बिहार में इस पर काफी हंगामा हुआ. बिहार पुलिस इसकी जांच के लिए मुंबई तक गई. इसके बाद परिजनों की मांग पर नीतीश सरकार ने सीबीआई जांच की इजाजत दे दी. बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और कोर्ट ने भी जांच का जिम्मा मुंबई पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंप दिया. सीबीआई ने एम्स में विसरा रिपोर्ट की जांच कराई, जिसमें दम घुटने से मौत की बात कही गई है. एक्टर ने टीवी सीरियल ‘किस देश में है मेरा दिल’ से एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा था. इसके बाद उन्होंने ‘काय पो चे’ के जरिए बॉलीवुड में कदम रखा था.
ऋषि कपूर:
इस साल बिछुड़ने वाले सितारों में बॉलीवुड अभिनेता ऋषि कपूर भी शामिल हैं. बोन मैरो कैंसरी की असाध्य और लंबी बीमारी के बाद 30 अप्रैल, 2020 को 67 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था. वह एक अभिनेता के साथ-साथ फिल्म निर्माता और निर्देशक भी थे. ‘मेरा नाम जोकर’ फिल्म में वह बाल कलाकार के तौर पर भी काम कर चुके थे. उन्हें ‘बॉबी’ फिल्म के लिए साल 1974 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवार्ड दिया गया था. 2008 में इस हरफनमौले सितारे को लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था. उनके करीबी लोग और बॉलीवुड की हस्तियां ऋषि कपूर को प्यार से चिंटू जी कहकर पुकारते थे. वो युवा अवस्था में बॉलीवुड के चॉकलेटी हीरो के रूप में भी मशहूर रहे. वह कपूर खानदान के चिराग थे.
प्रणब मुखर्जी:
देश के 13वें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन 84 साल की उम्र में 31 अगस्त, 2020 को हो गया. बाथरूम में गिरने से उन्हें ब्रेन इन्ज्यूरी हो गई थी. इसके बाद उन्हें दिल्ली के आरआर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 21 दिनों तक जिंदगी और मौत के बीच झूलने के बाद उन्होंने 31 अगस्त 2020 को दम तोड़ दिया. उन्होंने राजनीति में काफी ऊंचा मुकाम बनाया लेकिन देश का प्रधानमंत्री न बन पाने की कसक उन्हें ताउम्र सालती रही. उनका जीवन विवादों से परे रहकर राजनीति में काम करने का एक अनुपम उदाहरण रहा है.
रामविलास पासवान:
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में खाद्य, उपभोक्ता एवं संरक्षण मामलों के मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक नेता रामविलास पासवान का निधन 8 अक्टूबर, 2020 को हो गया. देश के बड़े दलित नेताओं में शुमार पासवान 74 साल के थे. 5 जुलाई 1946 को बिहार के खगड़िया जिले के शाहरबन्नी गांव के एक दलित परिवार में जन्मे रामविलास पासवान की गिनती बिहार ही नहीं, देश के कद्दावर नेताओं में की जाती थी. जेपी के दौर में वे भारतीय राजनीति में उभरे. उन्होंने 1977 के आम चुनावों में सर्वाधिक मतों (4.25 लाख वोट) से जीतने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था. उन्होंने 1989 में अपने ही पुराने रिकॉर्ड को तोड़कर 5.05 लाख वोट से जीतने का नया गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था.
अहमद पटेल:
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कोषाध्यक्ष अहमद पटेल का 25 नवंबर, 2020 को निधन हो गया. करीब चार दशक का राजनीतिक जीवन जीने वाले अहमद पटेल कांग्रेस के शर्मीले नेता के तौर पर जाने जाते थे. साल 2017 में जब गुजरात में राज्य सभा का चुनाव हो रहा था, तब उन्हें हराने के लिए अमित शाह और पीएम नरेंद्र मोदी की जोड़ी ने उनके खिलाफ जबर्दस्त किलेबंदी की थी, बावजूद इसके उन्होंने जीत दर्ज की थी. इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी के वे काफी करीब रहे. सोनिया गांधी के तो वो राजनीतिक सलाहकार थे. मधुर वाणी, मिलनसार और आतिथ्य सत्कार के उस्ताद अहमद पटेल को न चाहते हुए भी राहुल गांधी ने पार्टी का कोषाध्यक्ष बनाया था.अहमद पटेल कांग्रेस के संकटमोचकों में सबसे प्रमुख थे. वह 1993 से लगातार राज्यसभा के सदस्य थे.
जसवंत सिंह:
भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक नेताओं में शामिल रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह का 27 सितंबर, 2020 को निधन हो गया. सिंह 82 साल के थे. उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का हनुमान कहा जाता था. वाजपेयी सरकार में वो वित्त, विदेश और रक्षा मंत्री रहे थे. भारत-पाकिस्तान के बीच रिश्ते सुधारने से लेकर 1998 में परमाणु परीक्षण के बाद पूरी दुनिया से भारत के रिश्तों को मजबूत करने तक के अपने सियासी सफर में जसवंत सिंह ने कई मील के पत्थर साबित किए. हालांकि, भारत-पाकिस्तान-बांग्लादेश के बीच शांति स्थापना का उनका सपना अधूरा रह गया. उनका मानना था कि ये तीनों देश एक ही मां की सिजेरियन प्रसव से पैदा हुई संतानें हैं, जिनके बीच आपसी रिश्ते बेहतर होने चाहिए. 2001 में जब संसद पर हमले हुए थे, तब सभी राजनीतिक पार्टियां पाकिस्तान को जवाबी कार्रवाई देने का दबाव बना रही थी, सेना पर सैनिकों की तैनाती भी हो चुकी थी लेकिन जसवंत सिंह ने एड़ी चोटी का जोर लगाकर ऐसा होने से रुकवा दिया था.
अमर सिंह:
बीजेपी के राज्यसभा सदस्य और समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता अमर सिंह का निधन 1 अगस्त, 2020 को सिंगापुर के एक अस्पताल में हो गया था. उन्हें भारतीय राजनीति का मिडिल मैन से लेकर मिडिएटर तक कहा जाता था. इसी साल मार्च में भी उनके निधन की खबर उड़ी थी जिसका उन्होंने खुद खंडन किया था. मुलायम सिंह यादव और अमिताभ बच्चन के परिवार के काफी करीब रहे अमर सिंह का जीवन काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है. वो एक ऐसे नेता थे जिनके विपक्षी दलों के बड़े नेताओं से भी मधुर रिश्ते होते थे. वो दोस्त बनाने और उसे निभाने के उस्ताद थे. उनके दोस्त सियासत की दुनिया से लेकर मनोरंजन, खेल, बिजनेस जगत तक सभी जगह थे. यहां तक की उनकी दोस्ती का असर वॉशिंगटन में व्हाइट हाउस तक था. तभी तो उन्होंने बिल क्लिंटन को मुलायम सिंह यादव से मिलवाने लखनऊ बुलवा लिया था. उन्होंने एक प्रेस कॉन्प्रेन्स में खुले आम कहा था कि “हां, वो मुलायम सिंह के दलाल हैं.”
तरुण गोगोई:
साल 2001 से लेकर 2016 तक तीन बार असम के मुख्यमंत्री रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तरुण गोगोई का 23 नवंबर 2020 को निधन हो गया. वह 86 साल के थे. कोरोना वायरस संक्रमण से ठीक होने के बाद उन्हें दोबारा कई बीमारियों और जटिलताओं ने घेर लिया था. उन्हें असम का शालीन और कद्दावर नेता माना जाता था. वो बहुत कम बोलते थे. छह बार लोकसभा सांसद चुने जाने वाले तरुण गोगोई राजीव गांधी और इंदिरा गांधी के करीबी रहे. इंदिरा गांधी के वक्त उन्हें कांग्रेस का संयुक्त सचिव बनाया गया था. बाद में राजीव गांधी ने उन्हें महासचिव नियुक्त किया था. नरसिम्हा राव सरकार में वो खाद्य प्रसंस्करण मंत्री बनाए गए थे. बाद में 2001 में हितेश्वर सैकिया की जगह उन्हें असम का सीएम बनाया गया था.