प्रस्तुति – अनमोल कुमार
आटा अम्लीय होता है,, मात्र चोकर वाला अंश क्षारीय होता है। । मानवीय स्वास्थ्य के लिए रोटी को प्राकृतिक गुणों से भरपूर बनाने का तरीक़ा यह है कि रोटी बनाने वाले आटे में शाक सब्जियों को पीसकर या उनका रस मिलाकर रोटी बनाएं..!
(1) मूली की रोटी— मूली को कसकर आटे में मिला दें,, स्वादानुसार सेंधा नमक,, काली मिर्च,, अजवायन,, जीरा,, हल्दी मिलाकर आटा गूंथकर आधे घंटे बाद रोटी बना लें। ।
लाभ– बवासीर,, कब्ज दूर करता है। । लीवर को बल मिलता है। ।
(2) बथुआ की रोटी— बथुआ की पत्तियों को धोकर,, पीसकर आटे में मिलाकर रोटी बनाएं। । स्वादानुसार क्र0 1 के अनुसार खाद्य मसाले डालें। ।
लाभ– रक्तवृद्धि,, रक्तशुद्धि,, वात दोश नाशक,, जीवनीशक्ति वर्द्धक। ।
(3) पालक की रोटी— पालक के पत्ते धोकर पीस लें तथा इसमें नमक,, जीरा,, अजवायन,, सेंधा नमक मिलाकर रोटी बनाएं। ।
लाभ– कब्ज निवृत्ति तथा एनीमिया में लाभप्रद। ।
(4) लौकी की रोटी— आटे में लौकी का रस मिलाकर उपरोक्त विधि के अनुसार जीरा,, सेंधा नमक मिलाकर आटे को गूंथकर रोटी बनाकर खाएं। ।
लाभ– यह रोटी उच्च रक्तचाप,, हृदय रोग से बचाती है। ।
(5) मेथी की रोटी— मेथी के पत्तों को धोकर,, पीसकर आटे में गूंथकर रोटी बनाएं। । स्वाद के लिए सेंधा नमक,, जीरा अजवायन,, काली मिर्च मिलाएं।।
लाभ– रक्तशोधक,, वातरोगनाशक, कब्ज नाशक।।
(6) एलोवेरा की रोटी— एलोवेरा के पत्तों को धोकर चाकू से ऊपर का छिलका हटाकर गूदे को निकाल कर छान लें। । इसमें धनियां,, जीरा,, अजवायन,, सेंधा नमक,, काली मिर्च,, हल्दी मिलाकर आटे को गूंथकर रोटी बनाकर खाएं। ।
लाभ– संधिवात,, गठिया इत्यादि वातरोगों में लाभप्रद। । यकृत अमाशय एवं आंतों के रोग से बचाव।। आंतो के कैंसर से बचाव करता है। ।
(7) आलू की रोटी— आलू को कद्दू कस करके,, कपड़े मे रखकर दबा कर पानी निचोड़ कर आटे में मिला लें तथा स्वादानुसार नमक,, जीरा,, अजवायन,, धनिया हल्दी मिलाकर रोटी बनाएं। ।
लाभ– जीरा सही मात्रा में डालने से यह रोटी नेत्रज्योति बढ़ाती है तथा रक्तशोधक है।।
घी या तेल के परांठे– यकृत के लिए हानिकारक होते हैं, अतः परांठों के स्थान पर उपरोक्तानुसार रोटियां बनाकर खाएं तथा रोटी बनने के बाद घी लगा कर सेवन कर सकते हैं परन्तु हृदय के रोगियों को गाय के घी के सिवाय अन्य घी सेवन नहीं करना चाहिए..!