प्रस्तुति अनमोल कुमार
गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा है, ‘मिट्टी के बंधन से मुक्ति किसी भी पेड़ के लिए स्वतंत्रता नहीं हो सकती।’ स्वतंत्रता की सुगंध वास्तव में मनुष्य के मन को गुलाब की खुशबू की भांति लुभाती है। हालांकि, मनुष्य कभी-कभी भूल जाता है कि गुलाब भी खुशबू तभी तक देता है, जब तक वह अपनी जड़ से जुड़ा रहता है। आपको गुलाब की खुशबू तो तब भी मिल जाती है, जब उसको आप करीब से सूंघते हैं और तब भी जब आप उसे तोड़कर निकल जाते हैं, किंतु जब गुलाब अपनी टहनी से अलग होता है, तब एक वक्त के बाद वह खुशबू देना बंद कर देता है।इसी तरह हमारे जीवन की आजादी भी होती है। आप जब तक अपनों के साथ हैं, तब तक आपको थोड़ी बेड़ियां अवश्य महसूस होती हैं, लेकिन आपको आजादी हमेशा मिलती रहती है। वह बेड़ियां आपके लिए बाधा नहीं, बल्कि परिवार का प्यार और साथ होती हैं। आपको वह कभी मुरझाने नहीं देती हैं, जब तक खुद टूट नहीं जातीं, आपको आजादी देती रहती हैं, लेकिन ज्यों ही आप उसके साये से दूर होंगे, आपको उस आजादी से भी घुटन होने लगेगी। फिर उस आजादी की खुशबू आपके जीवन से दूर होती जाएगी।इसलिए मनुष्य को सदैव स्वयं से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति के महत्व को समझना चाहिए और अपने जीवन में उनके योगदान का सम्मान करना चाहिए। संभव है कि कुछ बातें आपको जरा असहजता का अहसास कराती हों, लेकिन अंततोगत्वा उनसे आपका ही भला होगा। आप जब अपने जीवन में आगे बढ़ते हैं तो नए-नए लोग मिलते जाते हैं। अच्छे वक्त में लोग आपके साथ रहते हैं, क्योंकि आपसे उनको फायदा होता है। हालांकि बाद में वही लोग आपके जीवन में बाधा बनकर समस्या उत्पन्न करने में पीछे नहीं रहते। इन बाधाओं से पार पाने में आपके वही लोग काम आते हैं, जो वास्तविक रूप से आपके अपने होते हैं।