बलिया में भी दिखा “ताउते” का असर!

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रिपोर्ट अभिनव पाठक

अरब सागर के रास्ते भारत के पश्चिमी समुद्री तटों पर टकराने वाला “ताउते” तूफान इस वर्ष का पहला तूफान है। द्वारिका प्रसाद सिन्हा महिला पी० जी० कालेज बाँसडीह,बलिया के भूगोल विभाग से जुड़े अभिनव पाठक बता रहे हैं इस “ताउते” तूफान की विस्तृत जानकारी-
ताउते इस साल का पहला तूफान है । इसकी उत्पात्ति अरब सागर से हुई है।इस तूफान को ‘ ताउते ‘ नाम म्यांमार द्वारा दिया गया है ।’ताउते’ का अर्थ होता है – तेज आवाज करने वाली छिपकली ।

तूफानो का नामकरण
तूफानों का नामकरण एक वैश्विक संस्था जिसका नाम ‘ वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल आर्गेनाईजेशन ‘ है , द्वारा किया जाता है । इस पैनल के एशिया डिवीज़न में भारत समेत 13 देश है , जो मुख्यतः अरब एवं हिन्द महासागर के तूफानों का नाम रखते हैं एवं उनके बारे में गाइडलाइन जारी करते हैं । इन देशों में बांग्लादेश , मालदीव , म्यांमार , ओमान , ईरान , पाकिस्तान , श्रीलंका , कतर , थाईलैंड , सऊदी अरब , यूएई और यमन शामिल हैं ।

पिछले वर्ष में इन देशों के सुझाये नाम के आधार पर 169 नामो का चयन किया गया था , जिसमे से 4 नामो का इस्तेमाल पहले ही हो चुका था । पांचवा नाम ताउते है ।

इसके बाद आने वाले तूफान का नाम ‘ यास ‘ होगा , ये नाम ओमान द्वारा प्रदान किया गया है ।

तूफानों का नामकरण करने का कारण
तूफानों का नाम रखने के पीछे की मुख्य वजह ये होती है कि सामान्यतः किसी तूफान की अवधि एक सप्ताह के आस पास की होती है । इस अवधि के मध्य में अगर कोई दूसरा तूफान आता है तो प्रशासन , आपदा प्रबंधन एवं आम जनता में भ्रम की स्थिति उत्त्पन्न हो सकती है , जिससे कि राहत कार्य प्रभावित हो सकता है। इसलिए इनका पूर्व नामकरण कर दिया जाता है , जिससे कि कोई भी भ्रम न रहे ।

दूसरा कारण है तुफानो को अध्ययन करने में होने वाली सुविधा । एक वर्ष में महासागरों में कई तूफान आते हैं , अब अगर इनको नाम न दिया जाए तो इनका अध्ययन कर पाना संभव नही हो पायेगा ।

वर्तमान में अरब सागर से अधिक तूफान उठने का कारण
पूर्व में ज्यादातर तूफान बंगाल की खाड़ी से उत्पन्न होते थे , इसको हम इस तरह से समझ सकते है कि अगर पूरे वर्ष में अरब सागर से 1 तूफान उत्पन्न होता था तो इसके सापेक्ष बंगाल की खाड़ी/हिन्द महासागर से 4 तूफान उत्पन्न होते थे ।

परंतु वर्ष 2017 – 18 के बाद स्थिति में परिवर्तन हुआ ।
2017 – 18 में अरब सागर से 3 और बंगाल की खाड़ी से 4 तूफान उठे ।
2019 में अरब सागर से 5 तो वंही बंगाल की खाड़ी से 3 तूफान उठे ।
2020 में अरब सागर से 2 और बंगाल की खाड़ी से 3 तूफान उत्पन्न हुए ।

प्रश्न ये उठता है कि इस परिवर्तन की वजह आखिर क्या है ?

चक्रवात या तूफान उत्पन्न होने का एक मुख्य कारण सामुद्रिक जल के गर्म होने से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा के साथ वायुदाब की प्रतिक्रिया होती है ।
बंगाल की खाड़ी में तूफान उठने का कारण वँहा के तटवर्ती इलाको का तापमान 28 डिग्री सेल्सियस से ऊपर होना है ।

अरब सागर का तटीय तापमान अक्सर बंगाल की खाड़ी की अपेक्षा 1 से 2 डिग्री कम रहता था , जिससे कि यंहा तूफानों की उत्पात्ति अपेक्षाकृत कम संख्या में होती थी ।
परंतु पिछले 40 वर्षों में मानवीय गतिविधियों के परिणामस्वरूप अरब सागर के तटवर्ती इलाको के तापमान में 1.2 से 1.4 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है । वर्तमान में अरब सागर के तटीय इलाकों का तापमान 30 से 31 डिग्री सेल्सियस बना रहता है ।
इसी कारण से अब अरब सागर से उठने वाले तूफानों की संख्या और तीव्रता दोनो बढ़ गयी है ।

वैश्विक तापन/ग्लोबल वार्मिंग की वजह से तूफानों की संख्या तो बढ़ती है साथ ही समुद्र सतह तथा तटीय क्षेत्र के वायुदाब में अत्यधिक अंतर हो जाने के कारण , तूफान तुरंत ही तीव्र गति पकड़ लेते हैं , जिससे कि भारी तबाही होती है ।

जब हवा की गति 24 घंटे के अंदर 55 km प्रति घंटे से ज्यादा हो जाये तो इसे ‘ रैपिड इंटेसिफिकेशन ‘ कहा जाता है ।

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