विशाखा फाउंडेशन के बैनर तले किया कार्यक्रम का आयोजन !
प्रीतम सुमन की रिपोर्ट :
अमरपुर थाना क्षेत्र के भदरिया गांव स्थित चांदन नदी के तट पर मिले अवशेषों के बाद चांदन नदी के तट पर आम लोगों का आना -जाना अनवरत जारी है. इसी कड़ी में रविवार के दिन भागलपुर से वरीय साहित्यकार एवं समाजसेवी भदरिया गांव पहुंचकर चांदन नदी में मिले अवशेषों का दीदार किया. मौके पर साहित्यकारों ने चांदन नदी का बारिकी से अवलोकन किया. वहीं भदरिया गांव स्थित बौद्धिपद के परिसर में विशाखा फाउंडेशन के बैनर तले समाजसेवी लखनलाल पाठक के नेतृत्व में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलित करते हुए किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता एवं मंच संचालन समाजसेवी लखनलाल पाठक ने किया. सभा को संबोधित करते हुए डां राजेन्द्र सिंह ने कहा कि पुर्व में इतिहास कारों ने कई ग्रंथों में बुद्ध और विशाखा का चर्चा किया था जिसे चांदन नदी में मिले अवशेषों ने सच कर दिया. इन्होंने भदरिया गांव में प्रतिवर्ष मेला लगाने की अपील किया ताकि दुर -दराज से लोग आकर यहां की ख्याति को जान सके. भागलपुर के पुर्व जिला परिषद सदस्य डां शंभु दयाल खेतान ने कहा कि आज जिस तरह चांदन नदी में पुराने अवशेष मिलें हैं यह भदरिया गांव समेत पुरे बिहार के लिए गौरव की बात है. आज मिले अवशेषों ने यह साबित कर दिया कि भदरिया गांव भगवान बुद्ध की परम शिष्या विशाखा की जन्म भुमी है. अब मिले अवशेषों की सहेजने की जरूरत है ताकि दुर -दराज से आये लोगों को वह अवशेषों का दीदार हो सके. पंचायत की मुखिया शारदा देवी ने बताया कि भदरिया गांव को पुर्व में भदई गांव कहा जाता था। बाद में भदई से यह भदरिया गांव में परिवर्तित हो गयी. इन्होंने बताया कि सात वर्ष की आयु में भदरिया गांव की बेटी विशाखा भगवान बुद्ध की शिष्या बनी और बाद में यह भगवान बुद्ध की परम शिष्या के रूप में विख्यात हो गयी. वरीय साहित्यकार सह अंगिका कवि डां अमरेन्द्र ने कहा कि भदरिया गांव भगवान बुद्ध नहीं बल्कि विशाखा की जन्म भुमि के नाम से विख्यात है और आने वाले समय में यह पर्यटक स्थल के रूप में विख्यात होगी. इस मौके पर गांधी आश्रम के मनोज मीता, प्रखंड उपप्रमुख सुजाता वैध, शिवशंकर सिंह परिजात, एसएम कॉलेज के प्राचार्य डाक्टर रमण सिंहा, डाक्टर रामचंद्र घोष डाक्टर देव ज्योति, टिंकु जी, पंचायत के पुर्व सरपंच गणेश भगत, राजेश भगत, मनोज शर्मा, संजय यादव समेत सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।