पूरे भारत में चलेगा “सनातन जन चेतना अभियान यात्रा”: अश्विनी चौबे!

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रिपोर्ट अनमोल कुमार!

2025 से 2029 तक पांच राज्यों में होंगे भव्य सनातन महाकुंभ, 2030 में बांका बिहार में होगा समापन

पटना के आई एम ए हॉल में आयोजित एक विशेष प्रेस वार्ता एवं उसके उपरांत समीक्षा बैठक किया जिसमे सभी आयोजनकर्ता एवं कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया गया एवं आभार प्रकट किया गया। पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे ने रविवार को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में आयोजित भगवान परशुराम जन्मोत्सव समापन समारोह और सनातन महाकुंभ की ऐतिहासिक सफलता पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस आयोजन का नेतृत्व श्रीराम कर्मभूमि न्यास द्वारा किया गया, जिसमें देशभर से आए हजारों श्रद्धालुओं और संतों ने भाग लिया। विशेषकर विशाखा शारदा पीठ के जगतगुरु शंकराचार्य परम पूज्य श्री स्वरुपानंदेन्द्र सरस्वती जी महाराज विशेष रूप से सम्मिलित होकर आशीर्वाद प्रदान किया।

श्री चौबे ने बताया कि यह महाकुंभ सनातन संस्कृति, वेद, धर्म, मर्यादा और राष्ट्रधर्म के पुनर्जागरण का एक विराट संगम था। उन्होंने घोषणा की कि “सनातन संघ जन चेतना अभियान” को देशव्यापी स्तर पर चलाया जाएगा, जिसका उद्देश्य करोड़ों सनातनधर्मियों को एकजुट करना और सांस्कृतिक चेतना को जागृत करना है। यह अभियान बीते चार महीनों से सक्रिय रूप से चलाया जा रहा है और इसे अब पूरे भारत में विस्तार दिया जाएगा।

भविष्य की रूपरेखा:

श्री चौबे ने यह भी घोषणा की कि:

2026 में उत्तर प्रदेश

2027 में मध्य प्रदेश

2028 में छत्तीसगढ़

2029 में महाराष्ट्र

तथा 2030 में बिहार के बांका जिले में अंतिम महाकुंभ का आयोजन करके इस अभियान का भव्य समापन किया जाएगा।

महाकुंभ का उद्घाटन एवं संतों के संदेश:

कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन बिहार के राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोक से किया गया।
तुलसीपीठाधीश्वर जगद्गुरु श्रीरामभद्राचार्य जी ने सनातन धर्म की रक्षा का संकल्प दोहराया एवं पुनौरा धाम में भव्य जानकी मंदिर निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया।

बागेश्वर धाम सरकार श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि “सनातन कोई पंथ या मत नहीं, बल्कि भारत की आत्मा है।” उन्होंने 6 नवंबर को वृंदावन से प्रारंभ होने वाली पदयात्रा में भाग लेने का आह्वान किया और बिहार में आगामी पदयात्रा की भी घोषणा की।

उपमुख्यमंत्री श्री विजय कुमार सिन्हा ने भगवान परशुराम को न्यायप्रिय योद्धा बताते हुए इस आयोजन को सनातन संस्कृति के उत्थान का केंद्र बताया।
उपमुख्यमंत्री श्री सम्राट चौधरी ने आयोजन की सराहना करते हुए धर्म, संस्कृति और परंपरा को नई पीढ़ी से जोड़ने वाले इस प्रयास की सराहना की।

पुस्तक विमोचन एवं संकल्प प्रस्ताव:

इस अवसर पर अश्विनी कुमार चौबे व कुमार सुशांत द्वारा लिखित “सनातन संग भारत तथा सनातन संवाद स्मारिका” का विमोचन किया गया।

कार्यक्रम में चार महत्वपूर्ण संकल्प प्रस्ताव पारित किए गए:

भारत के मठ-मंदिरों और गुरुकुलों को सरकार के नियंत्रण से मुक्त कर उन्हें संसाधन-संपन्न एवं आत्मनिर्भर बनाना।

. पुनौरा धाम, सीतामढ़ी में भव्य माता सीता मंदिर का निर्माण।

मंदार पर्वत, बांका पर श्रीमंदारेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार और समुद्र मंथन से जुड़े सांस्कृतिक गौरव की पुनर्स्थापना।

सिद्धाश्रम, बक्सर में भगवान श्रीराम की प्रथम कर्मभूमि पर विशालतम प्रतिमा की स्थापना एवं वैदिक विश्वविद्यालय की स्थापना।

उपस्थित विशिष्टजन:

इस ऐतिहासिक अवसर पर अनेक राजनेता, संत, सामाजिक कार्यकर्ता एवं विद्वान उपस्थित रहे जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:

पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद

बिहार सरकार के मंत्री डॉ. प्रेम कुमार, नितिन नवीन

यूपी सरकार के मंत्री दयाशंकर सिंह

आजमगढ़ के पूर्व सांसद दिनेशलाल यादव “निरहुआ”

प्रयाग राज के विधायक पीयूष रंजन निषाद, संजीव चौरसिया

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल

श्रीराम कर्मभूमि न्यास के अध्यक्ष कृष्णकांत ओझा (मंच संचालक)

गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज

जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्रीअनंताचार्य जी

आयोजन समिति से कृष्णकांत ओझा, अभिजीत कश्यप, संजय चौधरी, अरुण मिश्र, धनंजय, नीरज कुमार, अर्जित शाश्वत चौबे, रजनीश तिवारी, विनोद ओझा, अविरल चौबे, रवि शांडिल्य, मनीष मिश्रा, आशुतोष पांडे, विवेक राज, नागेश सम्राट, समेत अनेक प्रमुख कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

श्री चौबे का संदेश:

अंत में श्री अश्विनी चौबे ने आयोजन में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से योगदान देने वाले सभी संतों, कार्यकर्ताओं, न्यास पदाधिकारियों और श्रद्धालुओं का आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा:

“जब तक सनातन की रक्षा नहीं होगी, तब तक भारत की आत्मा सुरक्षित नहीं रह सकती।”
“भगवान परशुराम सामाजिक समरसता, क्षात्रधर्म और न्याय के प्रतीक हैं। उनके आदर्शों को आज के भारत में व्यावहारिक रूप से अपनाने की आवश्यकता है।”

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