आपदा प्रबंधन पर 48 वीं वाहिनी, सशस्त्र सीमा बल द्वारा कार्यशाला का आयोजन!

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रिपोर्टर — राजीव कुमार झा!

गोविंद सिंह भण्डारी, कमांडेंट 48 वीं वाहिनी सशस्त्र सीमा बल, जयनगर के निर्देशानुसार सीमा क्षेत्र में आपदा प्रबंधन के प्रति जागरूकता बढ़ाने एवं नागरिकों को प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से मधुबनी जिले के जयनगर स्थित बाबा पोखर में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में आपदा की स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया, प्राथमिक उपचार, बचाव एवं राहत कार्यों से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी साझा की गई।

कार्यक्रम की अध्यक्षता विवेक ओझा, उप कमांडेंट 48 वीं वाहिनी सशस्त्र सीमा बल ने किया। इस अवसर पर जयनगर के स्थानीय जनप्रतिनिधि कैलाश पासवान (मुख्य पार्षद), सीपीएम नेता भूषण सिंह, समाजसेवक बिट्टू सिंह सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। सभी वक्ताओं ने इस तरह की कार्यशालाओं की आवश्यकता और महत्व को रेखांकित किया।
इस कार्यक्रम की मुख्य गतिविधियाँ आपदा प्रबंधन के सिद्धांतों, प्रक्रियाओं एवं महत्त्वपूर्ण पहलुओं की जानकारी लोगों को दी गई।
बाढ़ से बचाव के उपाय, प्राथमिक चिकित्सा, आपात संचार व्यवस्था, सुरक्षित निकासी तकनीकों आदि पर विस्तृत प्रशिक्षण दिया गया।
व्यावहारिक अभ्यास (ड्रिल) के माध्यम से प्रतिभागियों को आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया गया।
समुदाय आधारित आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर विशेष बल दिया गया।
कार्यशाला में राजकीय कन्या इंटर महाविद्यालय, जयनगर और डी.पी. स्कूल, जयनगर के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। छात्रों को आपदा से निपटने के व्यवहारिक उपायों की जानकारी दी गई। साथ ही, सशस्त्र सीमा बल के जवानों द्वारा आपदा प्रबंधन उपकरणों का प्रदर्शन और प्राथमिक चिकित्सा का डेमो भी प्रस्तुत किया गया।

कार्यशाला समापन के अवसर पर विवेक ओझा, उप कमांडेंट ने सभी प्रतिभागियों और आगंतुकों का आभार व्यक्त किया और कहा कि “सीमा क्षेत्र में नागरिकों की सतर्कता एवं जागरूकता किसी भी आपदा की स्थिति में हमारी सबसे बड़ी ताकत होती है।” कैलाश पासवान (मुख्य पार्षद) ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए अपने वक्तव्य में 48 वीं वाहिनी द्वारा आयोजित इस प्रशिक्षण शिविर की सराहना किया एवं भविष्य में इस प्रकार के आयोजन कराने हेतु आग्रह किया गया।
कार्यक्रम ने आम नागरिकों, विशेषकर युवाओं में आपदा प्रबंधन को लेकर जागरूकता और जिम्मेदारी की भावना को मजबूत किया।

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