रिपोर्ट – निभाष मोदी!
भागलपुर, अंग जनपद की लोक संस्कृति पर आधारित लोक कला में अपनी अलग पहचान बनाने वाले मंजूषा कला धीरे-धीरे अपने शिखर की ओर बढ़ता चला जा रहा है, यहां के क्षेत्रीय कलाकार मंजूषा कला बनाने में काफी दिलचस्पी लेते दिख रहे हैं, सरकार भी पहले से ज्यादा मंजूषा पर ध्यान देने लगी है, अंग जनपदीय धरोहर मंजूषा कला अब सिर्फ भागलपुर बिहार में ही नहीं पूरे देश के साथ-साथ विदेश में भी इसकी लहर है, हरा गुलाबी पीला इन तीन रंगों का संगम यह मंजूषा कला वाकई देखने में इतना आकर्षक लगता है कि लोगों के मनों को मोह लेता है, मंजूषा कला प्रशिक्षण केंद्र रेलवे कॉलोनी बरारी भागलपुर में आज नवोदित बच्चों द्वारा बनाए गए 108 चित्रों की प्रदर्शनी मंजूषा प्रशिक्षण मनोज पंडित के नेतृत्व में लगाई गई, वही यह संस्थान नवोदित कलाकारों को प्रोत्साहित करने का भी काम कर रही है, मंजूषा कला प्रशिक्षण केंद्र की प्राचार्या सुमना ने बताया कि हमारी संस्थान मंजूषा कला को संरक्षित व अग्रसरित करने का काम कर रही है जिसमें सैकड़ो बच्चे मंजूषा कला सीखने में काफी दिलचस्पी ले रहे हैं और उन्हें इस संस्थान के द्वारा निशुल्क प्रशिक्षण दिया जा रहा है, मंजूषा कला से जुड़े नवोदित कलाकार को प्रोत्साहित करने के लिए हमारी संस्थान तन मन से लगी हुई है और मंजूषा कला में अब सरकार भी ध्यान दे रही है निश्चित रूप से इस क्षेत्र में भी आगे बढ़कर अच्छा व्यवसाय हो सकता है साथ ही साथ अपने अंग जनपद की लोक कला भी संरक्षित रखी जा सकती है इसलिए यह प्रयास किया जा रहा है। वही मंजूषा कला प्रशिक्षक मनोज पंडित ने भी बताया कि पहले मंजूषा कला को बच्चे सीखने में इतना इच्छा जाहिर नहीं करते थे लेकिन अब बदलाव आया है और बच्चे महिलाएं मंजूषा कला के प्रति ज्यादा दिलचस्पी ले रही है यह हमारे अंग जनपदिय लोक कला के लिए खुशी की बात है।