Search
Close this search box.

भाकपा माले ने समाधान यात्रा के क्रम में ज्वलंत मुद्दे उठाये!

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

पंकज कुमार जहानाबाद।

भाकपा माले के जिला सचिव कामरेड श्रीनिवास शर्मा, राज्य कमेटी सदस्य कामरेड अरुण बिंद, अखिल भारतीय खेत ग्रामीण मजदूर सभा के जिला अध्यक्ष कामरेड सत्येंद्र रविदास, जिला कमेटी सदस्य कामरेड हसनैन अंसारी ने मुख्यमंत्री के समाधान यात्रा के मौके पर आम जनता के कुछ ज्वलंत सवालों को उठाया है ताकि उसका समाधान निकल सके। समाधान यात्रा के दौरान भी नौकरशाही का खुला प्रदर्शन दिखाई पड़ रहा था।महागठबंधन के कुछ प्रमुख दलों से मुख्यमंत्री महोदय पकरी में मुलाकात किये परंतु माले समेत कुछ छोटे दलों को तरजीह नहीं दिया गया। जीविका और पदाधिकारियों से संवाद के साथ-साथ किसानों,मजदूरों, बटाईदारों, युवाओं, दुकानदारों आदि के प्रतिनिधियों से भी बात करना चाहिए था ताकि जिला के बारे में संपूर्ण स्थिति से अवगत हुआ जा सके ऐसा नहीं किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।
पुलिस के संरक्षण में जिला में शराब का धंधा तेजी से बढ़ा है।

शराब माफियाओं को संरक्षण देने वाली पुलिस दलितों – गरीबों पर कहर बरपा रही है।निर्दोष गरीबों को फर्जी केस में फंसा कर जेल भेजा जा रहा है। जेल दलितों, गरीबों से भर दिया गया है।परसबीघा थाना के सरता निवासी गोविंद मांझी को पुलिस ने इतनी पिटाई किया कि अगला दिन जेल में उनकी मौत हो गई और दोषी पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई की मांग करने वालों में 4 दर्जन से ज्यादा मांझी परिवार को फर्जी केस में फंसा कर तबाह कर दिया गया है। बिशुनगंज थाना के खसखोरी गांव में पुलिस ने सामंतों से मिलकर दिनदहाड़े दलितों के धान के फसल और हरा मसूर- खेसारी को रौंदकर लाखों का नुकसान पहुंचाया। दलितों के घरों में घुसकर पुलिस और सामंती अपराधी सरेआम गुंडागर्दी कर रहे हैं। बिशुनगंज पुलिस बेला गांव के मांझी को तबाह और बर्बाद कर दिया है। जिला में पुलिस दमन की अनेकों घटनाएं है।क्या यही न्याय के साथ विकास है? पुलिस बेलगाम क्यों हो गई है?
शराबबंदी के बजाय होम डिलीवरी जग जाहिर है।
जल जीवन हरियाली के नाम पर पीढ़ी दर पीढ़ी आहार, पोखर और गैरमजरूआ जमीन पर बसे दलितों, भूमिहीनों को बिना वैकल्पिक व्यवस्था के उजाड़ने और उत्पीड़न का अभियान बनकर रह गया है।
चरम महंगाई के दौर में जब पेट भरना मुश्किल हो रहा है तो वास-आवास का यक्ष प्रश्न मुंह बाए कमजोर तबकों के सामने खड़ा है।
किसानों, बंटाईदारों को ओने पौने दामों में धान बेचना पड़ रहा है।खाद के लिए 10 किलोमीटर, 15 किलोमीटर भटकाना पड़ रहा है। स्कूल,कालेज चौपट हो गया है, अस्पतालों में पर्याप्त डॉक्टर, नर्स नहीं है। निजी स्कूलों, अस्पतालों की लूट चरम पर है ।पढ़ लिख कर युवक मारे फिर रहे हैं।बड़े पैमाने अपढ़ मजदूरों का भी पलायन हो रहा है। बेरोजगारी महामारी का रूप धारण कर लिया है। महिलाएं अभी भी सुरक्षित नहीं है। विकास योजनाएं नौकरशाही और माफियाओं के लूट की भेंट चढ़ गया है।इस तरह की बहुत सारी समस्याएं मजदूरों, किसानों, व्यवसायियों के विकास में बड़ी बाधा है। इन समस्याओं का समाधान कब निकलेगा!
उम्मीद है कि इस समाधान यात्रा से लौटकर आम जनता के ज्वलंत सवाVलों के समाधान तथा बेलगाम शासन-प्रशासन के रवैए पर लगाम लगाकर सकारात्मक संदेश देंगें।

Leave a Comment

और पढ़ें