हाथरस की गुड़िया के साथ इस कृत्य के बाद मानवता शर्मसार है। सामूहिक दुष्कर्म के बाद दलित बिटिया की जुबान काटी गई और भयानक जख्म दिए गए थे। इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है, वह भी पीड़िता के बयान के बाद, नहीं तो पुलिस दरिंदों को बचाती रही। 14 सितंबर के इस कांड के बाद पुलिस को सामूहिक दुष्कर्म का मामला दर्ज करने में आठ दिन लगे थे।
यूपी के हाथरस जिले में 15 दिन पहले गैंगरेप का शिकार हुई एक लगभग 19 वर्षीय दलित युवती ने आज सुबह दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया। पीड़िता को सोमवार को ही अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी मेडिकल कॉलेज से दिल्ली एम्स में लाया गया था। मेडिकल कॉलेज में पीड़िता 13 दिनों से वेंटिलेटर पर थी। पीड़िता तीन बहन और दो भाईयों में सबसे छोटी थी। ” पीड़िता की मौत के बाद पूरा गाँव छावनी में तब्दील हो गया है। जिले की सीमाएं सील कर दी गयी हैं। पुलिस के बिना मर्जी के अभी गाँव में कोई बाहरी व्यक्ति नहीं जा सकता है। हाथरस जिले के चंदपा थाना क्षेत्र में 14 सितंबर की सुबह ये बेटी अपनी माँ के साथ खेत में चारा काटने के लिए गयी थी। गाँव के ही चार आरोपियों ने इस बेटी के साथ गैंगरेप करके उसे इस स्थिति में छोड़ा जिससे न वो चल सके और न बोल सके। आरोपियों ने उसकी जीभ काट दी जिससे वो अपनी जुबान न खोल सके और रीढ़ की हड्डी तोड़ दी जिससे वो एक कदम चल न सके। हाथरस गैंगरेप मामले में जब इस बेटी को 9 दिन बाद होश आया तब उसने इशारों में कागज और पेन मांगकर अपने साथ हुई दरिंदगी को बयाँ किया। जब इस बेटी की आपबीती सबको पता चली तो तब इस मामले ने तूल पकड़ लिया
चारों ने मिलकर काट दी थी युवती की जीभ
चारों आरोपियों ने युवती के साथ जो किया उसके बारे में जब-जब चर्चा होती है, लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। पहले तो चारों ने पीड़िता के हाथ-पैर बांधकर जबरन उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया, उसके बाद जब युवती ने उनका विरोध किया तो उन्होंने उसका गला दबाकर जान से मारने की कोशिश की।
इस दौरान आरोपियों ने युवती के साथ ऐसी क्रूरता की थी कि उसकी जीभ कट गई। हालत यह थी कि 19 सितंबर को विवेचक जब उसके बयान दर्ज करने पहुंचे तो वह इस कदर दहशत और बेहोशी की हालत में थी कि अपने साथ हुई घटना की दास्तां तक बयां नहीं कर सकी।
इसी तरह से निर्भया की घटना के बाद महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध पर नए सिरे से एक नई बहस शुरू हुई थी। इस घटना के विरोध में पूरे देश में उग्र व शान्तिपूर्ण प्रदर्शन हुए। सोशल मीडिया में ट्वीटर, फेसबुक आदि पर काफी कुछ लिखा गया था। यहाँ तक कि महिलाओं की सुरक्षा सियासत का गेमचेंजर अजेंडा बन गयी बार और सभी दलों के ऊपर उनके सरोकारों के साथ खुद को दिखाने का सामाजिक दबाव भी पड़ा। यही कारण था कि सरकार ने जस्टिस वर्मा को कानून में बदलाव करने के लिए सिफारिश करने को कहा। इसमें पहली बार बलात्कार करने वाले अपराधियों को मौत की सजा देने का प्रावधान किया गया। संसद ने अभूतपूर्व तरीके से इसे एकमत से पास किया।
दूसरी तरफ योगी आदित्यनाथ की सरकार जिसने हाल ही में यह बयान दिया है की यौन उत्पीड़न में शामिल हरामियों की तस्वीर चौराहे पर टांगी जाएँगी , अब कोई योगी जी को ये बताये की केवल चौराहे पर पोस्टर लगाने से रेप के केसेस नहीं रुकने वाले है, इसके लिए जमीनी स्तर पर कुछ बड़ा बदलाव करने की ज़रुरत है, ये दरिंदगी समाज में एक दयनीय स्थिति ले रही है , जल्द से जल्द इसके बारे में कुछ सोचना होगा