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“आज की शाम शाद के नाम” कार्यक्रम का आयोजन!

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अमित कुमार :-

ख्यातिनाम शायर शाद अज़ीमाबादी की याद में समाजिक सांस्कृतिक संस्था नवशक्ति निकेतन के तत्ववधान में आज पटना सिटी के के0एल0-7 सभागार में एक शाम- ‘शाद’ के नाम के तहत स्मृति सभा एवं विराट कवि सम्मेलन व मुशायरा का आयोजन किया गया।

समारोह का उद्घाटन पूर्व केन्द्रीय मंत्री व सांसद श्री रवि शंकर प्रसाद ने दीप प्रज्जवलित कर किया। अध्यक्षता बिहार हिन्दी प्रगति समिति के कवि सत्यनारायण ने अध्यक्ष की।

अपने उद्घाटन उद्बोधन में श्री रवि शंकर प्रसाद ने शाद को अमर शायर बताया। उन्होने कहा की भाषा और साहित्य का समाज और राष्ट्र के नवनिर्माण में महत्वपूर्ण योगदान है। भारतीय स्वाधीनता संग्राम और 1974 के जन आंदोलन में कवियों के योगदान को कभी भुलाया नही जा सकता।

• विशिष्ट अतिथि बिहार विधान सभा की प्राक्कलन समिति के सभापति श्री नंद किशोर यादव ने शाद को बिहार का गौरव बताया और कहा कि उनका जन्म पटना सिटी में हुआ और उनकी मजार भी पटना सिटी में स्थित है. जहां विगत चालीस वर्षों से उनकी पुण्य तिथि पर उन्हें याद किया जाता है।

अपने अध्यक्षीय भाषण में कवि सत्यनारायण ने शाद को भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब का प्रतीक- पुरूष बताया और सरकार से उनकी स्मृति रक्षा के लिए कारगर पहल करने की अपील की।

कार्यक्रम का संचालन कमलनयन श्रीवास्तव ने किया। उन्होने कहा कि शाद की नज़्मों

में मुल्क का दिल धड़कता है। समर्थ नाहर ने शाद की रचनाओं का सस्वर पाठ किया।

कवि सम्मेलन का आरंभ डॉ० आरती कुमारी (मुजफ्फरपुर) की गज़ल- तेरी याद में जो गुज़ारा गया है / वही वक्त अच्छा हमारा गया है / तथा तुम्हें गीतों के जैसे गुनगुना कर साथ रखना है / से हुआ प्रेम किरण ने सुनाया- अपनी मर्जी के सभी मुख्तार हैं / वाकई हम हो गये आज़ाद क्या डॉ० पंकज कर्ण ने कहा मुश्किल में लग रहा हैं ये आन वो अमान क्या / वहशी के हाथ लग गया गीता कुरान क्या अंजना मिश्र ने फरमाया- स्वाद फीके लगेंगे सभी आपको / भूख का स्वाद पाकर कभी देखिए। डॉ० नीलम श्रीवास्तव ने कहा- तोड़ चिल्मन सड़क पर उतर जायेंगे / ये न समझो कि हम तुमसे डर जायेंगे। सुभाष पाठक ‘जिया ने कहा है कुछ अजीब सा आज़ार दिल धड़कता है / हर इक सदा पे हर इक बार दिल धड़कता समीर परिमल- इश्क वाले बहार पाले हैं, हम खिजां में बहार वाले हैं, मुस्कुरा कर जो देखिए हमाको जान दे दे बिहार वाले है।

जफ़र सिद्दीकी ने फरमाया की मौजे बला गुजर गई साहिल लिए हुए / जैसे किसी का सर कोई कातिल लिए हुए / आए थे मेरे पास बड़ी आन बान से / चुपके से जा रहे हैं मेरा दिल लिए हुए / उसको क्या मालूम जो अंधा होता है/ चेहरे के पीछे भी चेहरा होता है। नाशाद औरंगाबादी ने कहा- सब की किस्मत में नहीं शायर दौरों होना / सख़त

मुश्किल है यहाँ शाद का शादाँ होना / आपका हुस्न तो खुद होश उड़ा देता है / आपको जेब

नहीं देता है उरयाँ होना। डॉ० प्रणव पराग- वो प्यारा गीत पंछी गुनगुनाये याद आए तुम / हवा ने अपने पंख फड़फड़ाए याद आए तुम । मो० नसीम अख्तर- मेरा गम जमाने में शाया ना होता / करम आपने मुझपे ढ़ाया ना होता।
सम्मान अलंकरण

इस अवसर पर डॉ० भावना शेखर एवं सैयद शाह हसीन अहमद को शाद अज़ीमाबादी सम्मान – 2022, कमलनयन श्रीवास्तव को लाईफ टाईम एचीवमेंट अवार्ड, सर्वश्री नीलाशुं रंजन, डॉ० जियाऊर रहमान जाफरी, डॉ० आनन्द मोहन झा एवं मो० रजी अहमद को साहित्य एवं समाज सेवा सम्मान तथा समर्थ नाहर को उभरती प्रतिभा सम्मान से शॉल, प्रतीक चिन्ह, पर्यावरण-संरक्षण पौधा एवं प्रमाण पत्र देकर उद्योग मंत्री सैयद सम्मानित किया गया। शहनवाज हुसैन द्वारा

उद्योग मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन ने शाद को कालजयी शायर बताया और कहा कि उनकी रचनाएं आज भी प्रांसगिक है। 176

शाद अज़ीमाबादी पर उर्दू में प्रकाशित प्रो० एजाज अली अरशद की पुस्तक का डॉ० शहनाज फातमी द्वारा किए गए हिन्दी अनुवाद का लोकार्पण कवि सत्यनारायण द्वारा किया गया।

कवि सत्यनारायण की अध्यक्षता में सम्पन्न अखिल भारतीय कवि सम्मेलन व मुशायरा में सर्वश्री डॉ० आरती कुमारी (मुजफ्फरपुर), समीर परिमल, सुभाष पाठक ‘जिया’ (म०प्र०). मधुरेश नारायण, आराधना प्रसाद, डॉ० गोरख प्रसाद मस्ताना (बेतिया), डॉ० नीलम श्रीवास् (गोपालगंज), डॉ० पंकज कर्ण (मुजफ्फरपुर), प्रेम किरण, अंजना मिश्र (उ० प्र०). डॉ० प्रणव पराग, आसिफ अज़ीमाबादी, चोंच गयावी (गया), शाज़िया नाज़, डॉ० ताहिरउददीन ताहिर (मुजफ्फरपुर), नाशाद औरंगाबादी, जीनत शेख, अशरफ याकूबी (कोलकाता), जफर सिद्दिकी, निखत आरा, असद रिजवी (मुजफ्फरपुर) एवं मो० नसीम अख्तर ने अपनी रचनाएं सुनाई।

दर्शक श्रोता देर रात तक आनन्द के सागर में डूबते-उतरते रहें।

इस अवसर पर नवनिर्वाचित सांसद शंभु शरण पटेल, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ० अनिल सुलभ, ख्यातिनाम चिकित्सक पद्मश्री डॉ० गोपाल प्रसाद सिन्हा, स्व० शाद के प्रपौत्र डॉ० निसार अहमद, स्व० शाद की प्रपौत्री प्रो० शहनाज फातमी, पूर्व महापौर श्रीमती सीता साहू एवं अफजल ईमाम ने भी अपने विचार व्यक्त किए। वक्ताओं ने शाद की स्मृति रक्षा हेतु जीवंत स्मारक बनाने, पटना सिटी स्थित उनकी मज़ार को राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर संग्रहलाय बनाने, उनके जीवन पर वृत्त चित्र बनाने तथा उनके

सम्मान में स्मारक डाक टिकट जारी करने की मांग सरकार से की। स्वागताध्यक्ष रमाशंकर प्रसाद ने अतिथियों का स्वागत किया तथा आभार ज्ञापन एहसान अली अशरफ ने किया। ठिक पल

इस अवसर पर सर्वश्री राजेश राज, मो० हसीन, अभिषेक श्रीवास्तव अतीश कुमार की कौशल राज, शिवु कुमार, सपना रानी, संजना आर्य, निशु कुमारी, रितु राज, उज्जवल राज, उजाला राज, एहसान अली अशरफ, रजी अहमद, हुस्न बानो, फैजान अली फहम,, पापीया गांगुली, प्रीती कुमारी, मो० वसीम, संजना आर्य, आदि सक्रिय रहे।

कमलनयन श्रीवास्तव सचिव

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