ऋषिकेश कुमार की रिपोर्ट :
प्रगतिशील मगही समाज के द्वारा आज 2 सूत्री मांगों को लेकर अस्पताल चौराहा पर एक दिवसीय धरना दिया गया. धरना को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि बड़ी दुख की बात है कि आजादी से अब तक देश की 70% आबादी जो खेती किसानी से जुड़ी हैं और जिनके खून पसीने से देश के लोगों का जीवनयापन चलता है. साथ-साथ बड़े-बड़े उद्योगपति उनके कच्चे माल पर उद्योग खोलकर मालामाल हो रहे हैं. उन किसान समुदाय के लिए सरकार की तरफ से अब तक कोई ठोस सकारात्मक योजना नहीं बनाई गई है. कभी कुछ ऋण माफी कभी कुछ अनुदान कभी खैरात में कुछ अनाज या पैसे देने वाली सरकार की योजना आमजन को बेवकूफ बनाने शोषण को बढ़ावा देने और अभिमान को दूर करने वाली है. जीवनदाता किसान के उत्पाद पर सरकार समर्थन मूल्य तय करती है जो सरासर नाइंसाफी है. विडंबना है कि इस देश का किसान के उत्पाद मूल्य खुद किसान नहीं बल्कि ग्राहक से करते हैं। दो सूत्री मांगों में न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं बल्कि कृषि को पूर्ण उद्योग का दर्जा देने और कृषि उत्पाद को किसी भी स्थिति में कच्चे रूप में उत्पादित क्षेत्र से बाहर नहीं जाने समय उस पर आधारित उद्योग सहभगिता के आधार पर सरकार को आम हाथो में देने की जरूरत है।