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बिहारशरीफ के सोहसराय में गणेश चतुर्थी की विशेष परंपरा 125 वर्ष पुरानी, इस बार मुंबई की तर्ज पर आयोजन!

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:- न्यूज़ डेस्क

नालंदा :बिहारशरीफ के सोहसराय क्षेत्र में गणेश चतुर्थी की एक विशेष परंपरा है जो 125 वर्ष पुरानी है। यहां ‘बुढ़वा गणेश’ के नाम से प्रसिद्ध एक विशेष गणेश मूर्ति की पूजा की जाती है। आयोजक ने बताया कि बिहार शरीफ में कई 10 पूर्व आलू और प्याज का बहुत बड़ा मंडी था। यहां से लोग व्यापार के लिए व्यापारी मुंबई जाते थे। मुंबई में गणेश पूजा से प्रेरित होकर यहां के व्यापारियों ने ही गणेश पूजा की शुरुआत की थी। 1932 में व्यापारियों के द्वारा ही गोला गणेश की स्थापना की गई थी। तब से लेकर आज तक मुंबई की तर्ज पर 10 दिनों तक घर घर बप्पा की पूजा की जाती है। यह गणेश पूजा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। शुभ मुहूर्त में पुजारियों के द्वारा पूजा की गई।पूजा शुरू होते ही गणपति बप्पा की गूंज से गुलजार हो गया। इस अवसर पर एक भव्य मेले का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें न केवल शहर के लोग बल्कि आस-पास के ग्रामीण भी बड़ी संख्या में शामिल होते हैं। मेले में मिठाई की दुकानें और खेल-खिलौनों के स्टॉल विशेष आकर्षण का केंद्र होते हैं। नालंदा में गणेश चतुर्थी का यह उत्सव न केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि सामुदायिक एकता और सांस्कृतिक विरासत को भी दर्शाता है। यह त्योहार बिहार के इस हिस्से में धार्मिक सद्भाव और सामाजिक समरसता का एक उत्कृष्ट उदाहरण बन गया है।

बाइट।श्रद्धालु
बाइट।आयोजक

ऋषिकेश संवाददाता नालंदा

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