रिपोर्ट- सुमित कुमार
-इस्लामिक कैलेंडर के पहले महीने मुहर्रम में हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में ताजिया निकालने की परंपरा निभाई जाती है। शिया समुदाय द्वारा पीढ़ियों से निभाई जा रही यह परंपरा, एक धार्मिक व सांस्कृतिक प्रतीक बन चुकी है। बांस और कागज से मकबरे के आकार का ताजिया बनाकर, इमाम हुसैन और उनके साथियों की कुर्बानी को श्रद्धापूर्वक याद किया जाता है।
तारापुर में 14 स्थानों पर मिला लाइसेंस
तारापुर प्रखंड क्षेत्र में इस बार कुल 14 स्थानों पर ताजिया निकालने हेतु प्रशासन द्वारा विधिवत लाइसेंस जारी किए गए। गाजीपुर क्षेत्र में 11वीं तारीख को ताजिया व निशान के साथ मातमी जुलूस निकाला गया, जो अहले सुबह तक 4 से 5 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए गंतव्य स्थल तक पहुंचा।
श्रद्धा और शांति के साथ हुआ ताजिया विसर्जन
सोमवार की देर रात तक सभी ताजिया का विसर्जन शांतिपूर्ण और श्रद्धापूर्वक तरीके से कराया गया। परंपरागत अस्त्र-शस्त्रों के साथ मातमी जुलूस गाजीपुर, पुरानी बाजार तारापुर, कोराजी, माधोडीह आदि स्थानों से निकलकर देवगांव कर्बला पर समापन तक पहुँचा।
प्रशासन ने निभाई अहम भूमिका
जुलूस के दौरान यातायात संधारण में कुछ असुविधा हुई, लेकिन प्रशासनिक सतर्कता के कारण कोई बड़ी समस्या नहीं आई। जिन रास्तों से ताजिया गुजर रहा था, वहाँ बिजली एहतियातन काट दी जाती थी और जुलूस गुजरने के बाद पुनः आपूर्ति चालू की जाती थी।
शांति समिति के सदस्य, अखाड़ों के खलीफा, सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता प्रशासन के साथ चलकर विधि-व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग कर रहे थे।
एसडीओ-डीएसपी ने जताया आभार
अनुमंडल पदाधिकारी राकेश रंजन कुमार एवं अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सिंधु शेखर सिंह ने आयोजन की शांति और सद्भावपूर्वक समापन पर सभी को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि तारापुर की आपसी सौहार्द और भाईचारे की परंपरा आने वाले श्रावणी मेला और दुर्गा पूजा जैसे त्योहारों में भी बनी रहनी चाहिए।
बाइट-अफरोज आलम समाजिक कार्यकर्ता
बाइट-अरसद खान समाजिक कार्यकर्ता