टेराकोटा कार्यशाला का दूसरा दिन: प्रतिभागियों में दिखी गहरी रुचि और उत्साह!

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रिपोर्ट अनमोल कुमार

बिहार खादी ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा पारंपरिक कला को जीवंत बनाने की पहल

पटना। बिहार राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड, पटना द्वारा आयोजित तीन दिवसीय टेराकोटा कला कार्यशाला का आज दूसरा दिन पूरी रचनात्मकता और ऊर्जा के साथ भरा रहा। बोर्ड कार्यालय के बापू कक्ष (पंचम तल, महेश भवन) में आयोजित यह कार्यशाला 15 से 17 मई 2025 तक चल रही है, जिसमें प्रतिदिन अपराह्न 1:00 बजे से संध्या 4:00 बजे तक प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

आज के सत्र में प्रतिभागियों ने मिट्टी की तैयारियों से लेकर टेराकोटा शिल्प निर्माण की बारीकियों को प्रत्यक्ष रूप से सीखा। राज्य पुरस्कार प्राप्त शिल्पकार श्री भोला पंडित एवं उनके सहयोगियों द्वारा दी जा रही मार्गदर्शना ने प्रतिभागियों को पारंपरिक तकनीकों से अवगत कराया और उन्हें अपने हाथों से सुंदर कलाकृतियाँ गढ़ने के लिए प्रेरित किया।

श्री भोला पंडित ने कार्यशाला के दौरान बताया, “टेराकोटा केवल कला नहीं, आजीविका का माध्यम भी है। बच्चों और युवाओं में इसे लेकर जो उत्साह दिख रहा है, वह इस बात का संकेत है कि यह कला फिर से घर-घर में जीवंत हो सकती है।”

कार्यशाला में बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे, कॉलेज के छात्र, गृहिणियाँ और युवा उद्यमी शामिल हुए। उन्होंने टेराकोटा से बनी सुराही, दीया, कुल्हड़ और सजावटी वस्तुओं को स्वयं बनाने की प्रक्रिया में उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रतिभागियों को यह भी जानकारी दी गई कि कैसे इस पारंपरिक कला को आधुनिक बाजार की माँग के अनुसार स्वरोजगार में बदला जा सकता है।

कार्यशाला के दूसरे दिन की प्रमुख विशेषताएँ:

  • मिट्टी चयन, शोधन और आकृति निर्माण की व्यावहारिक जानकारी
  • पर्यावरण अनुकूल उत्पादन प्रक्रिया
  • बाजार में संभावनाओं की समझ
  • केंद्र व राज्य की योजनाओं की जानकारी

बोर्ड का यह आयोजन न केवल पारंपरिक हस्तशिल्प को बढ़ावा देने की दिशा में एक सशक्त पहल है, बल्कि युवाओं में उद्यमशीलता और आत्मनिर्भरता की भावना भी जागृत कर रहा है।

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