रिपोर्टर — राजीव कुमार झा!
सम्पूर्ण मधुबनी जिले में मिथिला के नवविवाहित ब्राह्मण युवाओं का अनोखा त्यौहार कोजगरा बुधवार की रात हर्षोउल्लास पुर्ण माहौल में संपन्न हुआ। ऐसे तो पूरे साल में 12 पूर्णिमा तिथि आती है। जिनमें से आषाढ़, कार्तिक और शरद पूर्णिमा का अपना विशेष महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से युक्त होकर आसमान से अमृत की वर्षा करती है। इस रात धन की देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ पृथ्वी पर भ्रमण के लिए आती हैं। इसलिए कहते हैं कि जो इस रात में जागरण करता है मां लक्ष्मी उसकी झोली सुख संपत्ति से भर देती हैं। इसलिए शरद पूर्णिमा की रात को कोजागरा की रात कहा जाता है। इस दिन को देवी लक्ष्मी के जन्मोत्सव के रूप में भी जाना जाता है। कथाओं के अनुसार सागर मंथन के समय देवी लक्ष्मी शरद पूर्णिमा के दिन ही समुद्र से उत्पन्न हुई। नवविवाहित लड़के के ससुराल से कोजगरा को लेकर सगे संबंधियों से लेकर धर के लोगों के लिए नए वस्त्रों के साथ ही मखान, बतासा, विभिन्न तरहों की मिठाईयां, दही, चूरा, पान, केला सहित तरह तरह के फल भेजा जाता है। इस वर्ष भी नवविवाहितों के घर खास तौर पर वर के यहां उत्सव का माहौल देखने को मिला। विगत वर्षो से इस वर्ष अधिक संख्या में शादियां हुई तो लाजमी सी बात है कोजगरा भी अधिक होगा। फिर भी जिन किन्हीं युवाओं की शादी नंवम्बर 2023 से 2024 के अक्टूबर से पहले शादी हो गई थी। उनके यहां कोजगरा मनाया गया। कोजगरा की रात पान, मखान व बताशा का काफी महत्व है। नवविवाहित लड़के के यहां से आमंत्रित लोगों के बीच इन चीजों का वितरण किया जाता है। वही महिला के मनोरंजन के लिए इस चांदनी रात की रौशनी में चॉदी व साधरण कौड़ी से वर और कन्या के बीच पचीसी खेल होता है। इस खेल में जीतने वाले के लिए वर्ष शुभ माना जाता है। वर यह खेल अपने भाभी के साथ खेलते हैं। जिसमें लड़के की अन्य भाभी जहां अपनी दियादनी को जिताना चाहती है वही लड़के की मां सहित उनकी चाची, दीदी इस खेल में लड़के को जिताना चाह रही थी। इस दौरान आपस मे काफी हंसी व मजाक चला है फिर दही, धान, पान, सुपारी, मखाना, चांदी से बने कछुआ, मछली, कौड़ी के साथ वर का पूजन किया गया। चुमाउन करने के बाद वर की पूजा के बाद सगे-संबंधियों और परिचितों के बीच मखाना, पान, बताशे, लड्डू का वितरण किया गया है।