निवास मोदी!

डा. मंजीत के लिखे “कुछ तो कह कर जाते “गजल -संग्रह पुस्तक का हुआ आज विमोचन!
प्रायवेट शिक्षा से गारजन होलो छै लाचार, अंग्रेजी के फेरों में हिंदी भेलय पार
कोर कसर जो रही गेलहों नौकरी के तैयारी में, इज्जत फिर ता नहींये मिलथो जीवन भर ससुरारी में,
अंगिका को बढ़ावा देने के लिए कई कवि सामने आए ,उसमें से एक सोशल मीडिया पर काफी चर्चित होते नजर आ रहे हैं आज के युवा कवि अंगिका कवि डा. मनजीत सिंह किनवार।अंगिका कवि डॉ मंजीत सिंह किनवार आजकल सोशल मीडिया पर काफी छाए हुए हैं । आज मनजीत किनवर के गजल संग्रह पुस्तक जिसका नाम “कुछ तो कह कर जाते” का विमोचन किया गया इसमें शहर के कई गुंजन के द्वारा दीप प्रज्वलन कर इस कार्यक्रम की शुरूआत की गई और फिर पुस्तक का विमोचन किया गया। कार्यक्रम के दौरान सितार वादन, नृत्य की प्रस्तुति एवं कई कवियों ने अपनी अपनी कविताओं का भी प्रस्तुति किया। आज के इस पुस्तक विमोचन कुछ तो कह कर जाते की दो लाइने काफी मार्मिक रही “दूर गए तुम ठीक मगर कुछ कारण तो बतलाते,दिल आहत है सोच रहा है कुछ तो कह कर जाते”
बताते चलें मनजीत किनवार मूल रूप से मुंगेर जिला के महिमाचक के निवासी हैं लेकिन उनकी शिक्षा अपने ननिहाल खगड़िया के सियादत्तपुर अगवानी पंचायत के मध्य विद्यालय एवं बिहार केसरी एवं मोतिहारी उच्च विद्यालय डुमरिया बुजुर्ग से हुई है। उन्होंने संगीत की भी शिक्षा ली है। बताते चलें की यह अभी मारवाड़ी कॉलेज में अतिथि शिक्षक के रूप में काम कर रहे हैं।शंभू भूषण सिंह और माला देवी के पुत्र किनवार मूल रूप से अंगिका को प्राश्रय देते हुए अंगिका गीतों को, कविताओं को ,अंगिका में बनी लघु फिल्मों पर काम करते दिख रहे हैं। मनजीत सिंह के द्वारा रचित दोहे, गीत -ग़ज़ल ,नाटक ,कहानी काफी सुर्खियां बटोर रही है। उनका कहना है मैं गांव की आंचलिक मिठास को प्रस्तुत करने की कोशिश करता हूं, वह अपनी कविताओं में वर्तमान सरकार के गलत नीति को भी कोसते नजर आते हैं साथ ही बेरोजगारी पर काफी कुछ उन्होंने लिखा है, उन्होंने कहा कि यूं तो उनकी लेखनी हिंदी की अनेक विधाओं में चलती है लेकिन मातृभाषा अंगिका के प्रति उनका गहरा प्यार है उन्होंने अंगिका में कई छोटे-छोटे फिल्म भी बनाए। कुछ दिन पहले उनकी एक फिल्म आई ऑनलाइन काफी सुर्खियों में रही है, इस फिल्म का उद्देश्य था इस बदले परिवेश में जब अधिकतम काम ऑनलाइन होता है शिक्षा भी ऑनलाइन मिल रही है ऐसे में हमारा समाज बहुत मुश्किल अवस्था से गुज़र रहा है, इस स्थिति में लोग अपने बच्चों के लिए अच्छी व्यवस्था नहीं कर पा रही है कि अपने बच्चे को सारी सुविधाएं मुहैया करा सकें। इन उद्देश्यों को लेकर विकास फाउंडेशन के सहयोग से इस फिल्म का निर्माण भी किया है। उन्होंने हिंदी में भी कई कविताएं लिखी जैसे गिर गए तो क्या हुआ गिरकर संभलना जिंदगी है मुश्किलों को मुस्कुराकर पार करना जिंदगी है।
आज मनजीत सिंह किनवार की पुस्तक कुछ तो कह कर जाते पुस्तक का विमोचन काफ़ी सफ़ल रहा।