वफादारी और ईमानदारी का रंग क्या ऐसा? एक अखबार से मिले दर्द की दास्तां!

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कुमुद रंजन राव

मैं कुमुद रंजन राव एक से छह दिसम्बर 1992 के बाद अयोध्या से लौटने के उपरांत भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मुरली मनोहर जोशी के आह्वान पर 25 फरवरी 1993 दिल्ली वोट क्लब रैली में जाने के क्रम में इलाहाबाद जंक्शन पर राजनीतिक बंदी के रूप में गिरफ्तार होते हुए इलाहाबाद के नैनी जेल में नौ दिन रहा था। वहां से आने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का आईटीसी से लेकर लगातार तृतीय वर्ष 1994 में करने के उपरांत टीएनबी लॉ कॉलेज से वकालत पढ़ाई कर बांका में वकालत 1995 से प्रारंभ किया था। वकालत करने के क्रम में हिंदुस्तान के तत्कालीन जिला संवाददाता श्री मनोज उपाध्याय, आज संवाददाता प्रदीप कुमार चक्रवर्ती, हिंदुस्तान टाइम के संवाददाता श्री परमानंद झा, परम पूज्य हिंदुस्तान संवाददाता मोहन मिलन, अधिवक्ता सह पत्रकार संजय सिंह आदि से प्रेरित होकर वकालत के साथ-साथ बिहार अदालत, धनबाद से प्रकाशित होने वाला अखबार ‘आवाज’ के बाद प्रभात खबर अखबार से पत्रकारिता प्रारंभ करते हुए चांदन के आमोद कुमार दुबे और हम दोनों एक साथ छह फरवरी 2000 ईस्वी से दैनिक जागरण अखबार में प्रवेश किया। तब से दैनिक जागरण अखबार का निस्वार्थ समाज सेवा समर्पण की भावना से अखबार में अपना बहुमूल्य समय 17 दिसंबर 2020 तक दिया। संघ में मिले शिष्टाचार और कर्तव्यपरायणता को ध्यान में रखते हुए अपने पत्रकारिता कार्य में हमेशा तन-मन से समय देता रहा। यहां तक कि कई बार अपने घर परिवार के किसी फंक्शन में भी शामिल नहीं हो पाता था। जुलाई 2011 में अपने माता जी के देहांत होने पर अग्नि कर्ता रहने के बाद भी समय पर खबर भेजना नहीं छोड़ा एवं पुत्री की शादी अप्रैल 2016 के दिन भी समय पर खबर भेजा था। आज रजौन प्रखंड में 850 से भी ज्यादा प्रतिदिन दैनिक जागरण अखबार का सेलिंग है। अखबार में हर तरह का टेंशन को सहन करते हुए कदम से कदम मिलाकर चलता रहा। 2013 से दैनिक जागरण का वर्तमान मॉडम प्रभारी है तब से तरह-तरह का आर्थिक, मानसिक प्रताड़ना का शिकार होता रहा। इनके कार्यकाल में एकबार कई लोगों से दैनिक जागरण के प्लानर एवं विज्ञापन के लिए 19500 ₹ तथा पूर्व मुखिया का 6000 ₹ कुल 25500 राशि जमा करने के बाद भी प्लानर एवं विज्ञापन आज तक प्रकाशित नहीं हुआ। अखबार में समर्पण को लेकर ही आठ जुलाई 2006 शनिवार को दाहिने हाथ में “कुमुद जागरण” गोदना (टैटू) अंकित करवा कर जागरण अखबार पर अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था। घर परिवार और सारा काम छोड़कर सदैव अखबार के प्रति खोजी का काम करता रहा। समाचार प्रेषण में भूल से कभी कभी कुछ छोटी मोटी गलती भी होने पर वर्तमान मॉडम प्रभारी द्वारा असंसदीय भाषा, मानसिक एवं आर्थिक प्रताड़ना मिलता रहा फिर भी हम काम करना कभी भी नहीं छोड़े। उनका एक ही मिशन था किसी तरह से कुमुद अपमानित होकर जागरण को छोड़ दें। मेरा एक ही लक्ष्य एवं मिशन था कि जागरण को मैंने बहुत समर्पण के भाव से अखबार से शुरू करते हुए आज करीब एक हजार से अधिक जागरण अखबार के पाठकों का फौज तैयार कर रखा था। इसके बाद भी जागरण ने हमें कभी भी सम्मान नहीं दिया। इसबार विधानसभा चुनाव में समाचार संकलन करने के लिए परिचय पत्र से लेकर डीएम द्वारा प्राधिकार पत्र तक भी नहीं उपलब्ध कराया जा सका। मेरे जैसा समर्पित रिपोर्टर इस धरती पर खोजने के बाद भी शायद ही मिले फिर भी मुझे वह सम्मान कभी नहीं मिला जिसके हम हकदार थे फिर भी इन सब बातों को अपने मन से दूर रखते हुए जागरण को हर पर्व त्योहार- होली, दुर्गा पूजा, दीपावली, काली पूजा, छठ महापर्व, 26 जनवरी, 15 अगस्त, नूतन वर्ष एक जनवरी, दैनिक जागरण स्थापना दिवस, कवि सम्मेलन, कोविड-19 जैसे महामारी के इस काल में भी शुभकामना संदेश, विज्ञापन, सरकारी विज्ञापन सहित अन्य आदेश मिलने पर समय अनुकूल देते चले आ रहे थे। आईटीआई कॉलेज भूसिया- लकड़ा पैकेज विज्ञापन। यहां तक कि इधर संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में भी जदयू प्रत्याशी मनीष कुमार, रालोसपा प्रत्याशी शिव शंकर से 24 हजार एवं 25 हजार रुपए सहयोग करवाए थे। इसके बाद भी जागरण अखबार ने हमको आज तक सम्मान के स्थान पर अपमान का घुटन देते रहा, इसलिए समय परिस्थिति, उम्र को देखते हुए जागरण को अब हम अलविदा करने का मन बना लिए हैं। इतने दिन अखबार में रहने के क्रम में खबर के चलते बहुतों को मुझसे ठेस भी पहुंचा होगा। उन सभी से हम हाथ जोड़ कर विनम्र निवेदन करते हुए क्षमा मांगता हूँ। मेरे इतने लंबे अंतराल के सभी सुधी पाठकों, शुभचिंतकों, अपने सगे संबंधियों का क्षमापार्थी हूँ। आने वाले अंग्रेजी नववर्ष 2021 से नए अंदाज में स्वतंत्र पत्रकारिता के रूप में प्रखंड वासियों का बिना भेदभाव निष्पक्ष तरीके से पत्रकारिता का शुरुआत करने का विचार कर रहे हैं जो अब काफी निष्पक्ष और बदलते जमाने का पहले की तरह ही निर्भीक पत्रकारिता रहेगा। जिस जागरण का लगातार 20 वर्ष से अधिक सेवा किए। उस जागरण अखबार ने हमें 2013 से आज तक इतना प्रताड़ित किया है दुश्मन को भी कभी ऐसा दुःख नहीं मिले। प्रखंड वासियों का हौसला पस्त नहीं हो इसके लिए कई अखबारों, टीवी चैनलों का समर्थन हासिल करते हुए उनके मार्गदर्शक के रूप में सहयोग करते रहेंगे। प्रखंड वासियों एवं दैनिक जागरण के सुधि पाठकों से मेरा विनम्र निवेदन है धैर्य रखते हुए मेरा हौसला अफजाई करते हुए नूतन वर्ष महा मंगलमय कामना करें। जब हम अब जागरण का हिस्सा नहीं रहे तो आप सुधी पाठक भी कुछ मेरे हित में जागरण अखबार पर विचार शालीनता पूर्वक कर सकते हैं। आमजनों सहित सुधी पाठकों को मालूम होना चाहिए कि इस धरती पर शायद ही मुझे छोड़कर कोई दूसरा हो जो प्रतिदिन भेजे गए हर खबर को डायरी में अंकित करना, प्रतिदिन प्रकाशित खबर कटिंग कर फाइल तैयार करना, रूटिंग वर्क के तहत काम करना, शरद ऋतु हो या ग्रीष्म ऋतु हमेशा सुबह-शाम दोनों टाइम बिना स्नान किए पूजा अर्चना किए कोई काम नहीं करते, प्रतिदिन सुबह जगने के साथ अखबार पड़ाव पर जाकर अखबार हॉकर से कुशल क्षेम पूछना आदि दिनचर्या बन गया था। इसके बाद भी जलील होना यह उम्र अब मेरे लिए शोभा नहीं देता।

1 thought on “वफादारी और ईमानदारी का रंग क्या ऐसा? एक अखबार से मिले दर्द की दास्तां!”

  1. अच्छी बात है, जलील होकर क्यों आप स्वतंत्र काम करें। पानी का थाह लेकर आगे बढिये, जमाना आप जैसों का ही है…

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