रवि शंकर शर्मा की रिपोर्ट!
देश भर में भाई दूज का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है , भाईदूज को लेकर सुबह से ही ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में चहल पहल देखी गयी। रक्षाबंधन के तर्ज पर ही भाईदूज का पर्व भाई बहन के रिश्तों की डोर को एक धागे में पिरोने वाला पर्व है। भाईदूज का पर्व भाई-बहन के स्नेह, त्याग और समर्पण का प्रतीक है। इस दिन भाई-बहन अपने प्यारभरे रिश्ते को और प्रगाढ़ करते हैं। हैं। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और उनकी समृद्धि की कामना करती है। भाई दूज, जिसे ‘भबीज’, ‘भाई टीका’ और ‘भाई फोंटा’ के नाम से भी जाना जाता है, एक विशेष त्योहार है। कार्तिक के महीने में शुक्ल पक्ष के दूसरे चंद्र दिवस पर इस त्योहार को मनाया जाता है, भाई दूज रक्षा बंधन के समान है जब एक भाई और बहन एक दूसरे के लिए प्रार्थना करते हैं, और उपहारों का आदान-प्रदान करते है। यह दिवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है। इस दिन, भाई-बहन एक साथ उपवास का आनंद लेते हैं। और इस भाई दूज त्यौहार के साथ, पांच दिवसीय दिवाली उत्सव समाप्त हो जाता है।ऐसी मान्यता है कि इस दिन बहन यमुना ने अपने भाई यम से वर मांगा था कि जो भाई इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने के बाद अपनी बहन के घर भोजन करेगा उसको मृत्यु का भय नही रहेगा। भगवान सूर्य देव की पत्नी का नाम छाया था। यमराज और यमुना उनके पुत्र और पुत्री थे। यमुना हमेशा अपने भाई यमराज को अपने घर पर भोजन के लिए आमंत्रित करती थी, लेकिन व्यस्तता का हवाला देते हुए यमराज हमेशा उनके निवेदन को विनम्रतापूर्वक टाल देते थे। एक दिन देवी यमुना ने भाई यम को भोजन के लिए राजी कर लिया। और तब से भाई दूज का त्योहार मनाया जाने लगा और लोक प्रचलन में आ गया।