रिपोर्ट – रुपेश कुमार
औरंगाबाद। वाह रे शिक्षा विभाग, एक तरफ पूरा बिहार बिहार दिवस का उत्सव मना रहा है , सरकार का अगर आदेश माने तो सभी सरकारी भवनों को बिहार दिवस के अवसर पर नीली बत्ती से सजाने का आदेश है हालाकि समाहरणालय समेत सारे सरकारी भवनों में भी नीली बत्ती लगाई गई मगर औरंगाबाद का शिक्षा विभाग कार्यालय सरकार के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए अंधकारमय रहा।
समूचा जिला पिछले तीन दिनों से बिहार दिवस मना रहा है। जिले में भी 22 से 24 मार्च तक बिहार दिवस धूम धाम से मनाया गया। जिलाधिकारी के आदेश पर इस दौरान सभी सरकारी कार्यालय और भवनों को नीले रंग की रोशनी में जगमगाया गया। लेकिन एक कार्यालय ऐसा भी था जहां जिलाधिकारी के आदेश को ठेंगा दिखा दिया गया। जी हां हम बात कर रहे हैं जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय का, जहां नीली रोशनी तो दूर पूरे परिसर में सिर्फ एक बल्ब जल रहा था।
बिहार दिवस मनाने को लेकर हुई बैठक में जिला पदाधिकारी सौरभ जोरवाल ने सख्त निर्देश दिया था कि जिला मुख्यालय और प्रखंड मुख्यालयों पर सभी सरकारी भवनों और कार्यालयों को नीली रोशनी से प्रकाशित किया जाएगा। उनके आदेश का पालन भी हुआ, जिसमें जिला समाहरणालय, अनुमंडल कार्यालय, जिला परिवहन कार्यालय, इनडोर स्टेडियम, जिला ग्रामीण विकास अभिकरण आदि दर्जनों कार्यालयों को नीली रोशनी से जगमगाया गया था।
नीली रोशनी की व्यवस्था अगर कहीं नहीं थी तो वह था जिला शिक्षा पदाधिकारी का कार्यालय। जहां रोशनी के लिए मात्र एक बल्ब जल रहा था। जबकि नियमानुसार वहां नीली रोशनी की सजावट होनी चाहिए थी।
इस बात का स्थानीय समाजसेवियों ने विरोध किया है
समाजसेवी मितेंद्र कुमार ने बताया कि जिला पदाधिकारी के आदेश की अवहेलना करना सही नहीं है। इसके लिए जिम्मेवार अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने जिला शिक्षा पदाधिकारी को भी आड़े हाथों लेते हुए बताया कि जिला शिक्षा पदाधिकारी बिल्कुल अपने मंत्री की तरह आचरण कर रहे हैं। इनके मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर को भी सामाजिक समरसता का ज्ञान नहीं है। वे लगातार धार्मिक मामलों में लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाते रहते हैं। उसी तरह जिला शिक्षा पदाधिकारी भी बिहार दिवस को ठेंगे पर रखा और उन्होंने कार्यालय में नीली रोशनी की व्यवस्था नहीं कराई।