प्रशान्त कुमार की रिपोर्ट
बेगूसराय :- प्रतिवर्ष 03 दिसंबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस’ मनाया जाता है . इसकी शुरुआत साल 1992 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव संख्या में 47/3 द्वारा की गई थी . इसके बाद से पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस मनाया जाता है .इसका उद्देश्य राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन के सभी पहलुओं में दिव्यांग व्यक्तियों की स्थितियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना भी है . वही बिहार के बांका के रहने वालें माला सिन्हा और रत्नेश कुमार की करें तो दोनों भाई बहन बेगूसराय के प्रधान डाकघर में कर्मचारी के पद पर कार्य कर रहे हैं . इन्हें दिव्यांगजन का रोल मॉडल भी कहा जा सकता है क्योंकि दिव्यांगता इन दोनों के कार्य में कहीं बाधा नहीं बन रही है .
पेपर पर अपनी बात लिखकर होती है बातचीत
बिहार के बांका जिले के रहने वाले माला सिन्हा और रत्नेश कुमार के साथी कर्मचारी हरेकृष्ण कुमार , अनुपम रंजन , पवन कुमार मिश्रा ने हमारे संवाददाता से बातचीत करते हुए बताया इनकी पहली ज्वाइनिंग उत्तरप्रदेश के गाजीपुर के प्रधान डाकघर में हुई थी . बेगूसराय में कार्य करते हुए लगभग 2 साल हो गए. हम सबसे ज्यादा अच्छा काम करता है , यहां भी तीन बार अलग अलग प्रकार के काम दोनों भाई बहन को दिए गए हैं दोनों ने हम सबसे अच्छा काम किया है
दोनों भाई बहन ने हमारे संवाददाता को खुद का विजुअल दिखाने के लिए अनुरोध किया और दोनों खुशी जाहिर करते हुए विजुअल करने की अनुमति दिए . इनके साथ काम करने वाले अन्य साथी कर्मचारी भी धीरे धीरे इनके इशारा वाली भाषा को भी समझने लगें हैं और काफी अच्छा काम भी कर रहे हैं.
बताते चलें कि बेगूसराय में 72 हज़ार दिव्यांग है।
बेगूसराय ज़िले में स्वास्थ विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक तकरीबन 72 हज़ार दिव्यांग जिले में हैं . इसके बाबजूद मात्र पिछले तीन वर्षो में 450 के बीच सहायता उपकरण दी गई हैं.स्वरोजगार की बात करें तो अबतक मात्र 15 दिव्यांग को इसके लिए लोन उपलब्ध कराया गया . ऐसे में सरकार की पृष्ठभूमि अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस मनाने से लेकर लोन उपलब्ध कराना निहित उद्देश्य में शामिल है . लेकिन बेगूसराय जिले में इससे जुड़े कर्मी और अधिकारी इसे फाइल में ही दबाएं हुए रहते हैं .




