(हम बोलेगा तो कहेगा कि बोलता है:-कटाक्ष)
पंकज कुमार ठाकुर कार्यकारी संपादक शंखनाद मीडिया हाउस!
मां की उम्र 65 वर्ष बेटा 42 वर्ष पतोहूं 35 वर्ष पोता 10 वर्ष 7 वर्ष अचानक सभी फांसी से झूल कर जिंदगी की लीला समाप्त कर लेता है! सोचिए उस मासूम की अंतिम इच्छा कितनी आर्थिक तंगी से गुजर रहा होगा यह परिवार वह परिवार जिसके पिता अपने बच्चे की अंतिम इच्छा पूछा होगा क्या ?अगर यह परिवार ब्राह्मण नहीं होता तो अब तक पूरी बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया रहता जातियों में बटे बिहार में सबसे ज्यादा खराब हाल गरीब ब्राह्मणों का है। जो अमीर ब्राह्मण है उनके साथ हाथी पांव वाली कहावत है सबका पांव वाली कहावत है उनके साथ अगर कभी कुछ हुआ तो मुखिया से लेकर मंत्री तक दरबार में हाजिर चुकी सत्ता चलाना है वोट की लालच है तो दूसरे गरीब ब्राह्मण जिसके जन्म लेते ही एक सरकारी आंकड़ा जुड़ जाता है अगड़ा जो पूरे जिंदगी को बोझ बना कर निकल जाता है। और कई मनोज झा बन जाते हैं जो परिवार समेत फांसी पर झूल जाते हैं। हालांकि मजबूर हूं लाचार हूं आकलन तो मुझे निकालना ही होगा जहां भूख से मौत हो रही हो वैसे बिहार में मुखिया जी अचानक कार से फॉर्च्यूनर पर कैसे आ गए। यह उनसे कोई पूछ नहीं सकता क्योंकि सरकार को वोट डोनेशन देंगे। दूसरी ओर अगर गरीब के पास मोटरसाइकिल मिल जाए तो उसकी राशन कार्ड से नाम काट दिया जाता है। अरे हुजूर मुखिया तो 1 साल से कुछ किए कराए मलाई मार रहा है। तो काहे का जनतंत्र हुजूर। दम तोड़ती सुशासन यूं कहें कि यह मौत उस सुशासन की मौत है। जो आए दिन अपनी विकास की गाथा में व्यस्त है। दरअसल इस खबर को बीबीसी में भी प्रकाशित किया गया। जिससे पूरे बिहार की मिट्टी पलीत हुई। हम तो बोलेंगे ।