:- रवि शंकर शर्मा!
आज भी समाज मे अच्छे लोगों की कोई कमी नही है,जहाँ लोग स्वार्थ , आधुनिकता, भौतिकवादी जीवन शैली से खुद में ही अस्त व्यस्त और परेशान हों ऐसे में किसी ठेला खींचकर दो वक्त की रोटी कमाने वाला मजदूर अगर किसी जागरूकता अभियान को लेकर भारत भ्रमण को निकले तो उनके हौसले और जज्बे को ना सिर्फ सलाम करना चाहिये बल्कि उनसे सीखने की भी जरूरत है। दरअसल ऐसे व्यक्ति समाज के लिये किसी प्रेरणा से कम नही हैं। पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार जिले से साइकिल से अनुवांशिक रक्त सम्बन्धी रोग थैलीसीमिया के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से निकले श्यामा प्रसाद दत्त रॉय और उनका सहयोगी उत्तम बर्मन ऐसी ही सख्सियतों में शुमार हैं। जो आज समाज के लिये प्रेरणा स्रोत हैं। ये 1998 से रक्तदान कर रहे हैं इनका सपना इको फ्रेंडली और थैलीसीमिया फ्री इंडिया बनाने का है। जिसके लिये श्यामा प्रसाद दत्त 1998 से कार्यरत हैं और कई पुरस्कार जीत चुके हैं। इनकी रोजी रोटी हाथ से खींचने वाला ठेला से चलता है। इसके बावजूद इनके हौसले को देखिये ये सायकिल से देश को जागरूक करने निकले हैं। ये अलीपुर द्वार के जिलाधिकारी सुरेंद्र कुमार मीणा से भारत भ्रमण की अनुमति लेकर निकले हैं। थैलीसीमिया के मरीजों को अक्सर रक्त की जरूरत पड़ती है। इनके शरीर मे अक्सर खून की कमी हो जाती है जिस कारण इनकी जिंदगी बचाने के लिये खून ही सहारा होता है। ये एक ना ठीक होने वाला रोग है परंतु इसे दवा और समय पर रक्त मिल जाने से नियंत्रित रखा जा सकता है। यही कारण है कि श्याम प्रसाद दत्त रॉय ने इसे एक अभियान बना लिया और परिणाम की परवाह किये बिना निकल पड़े देश को जगाने।