संवाददाता :- विकास कुमार!
सहरसा :- जिले में अक्टूबर महीने में मोंथा चक्रवात के कारण बारिश होने से खेतों की नमी बढ़ गई है। जिसके कारण धान की कटाई में विलंब हुआ है।वही रबी फसल की बुआई 10 से 15 दिन पीछे चल रहे हैं।वर्तमान में 24000 मेट्रिक टन खाद उपलब्ध है। ऐसे में किसानों को पैनिक होने की कोई आवश्यकता नहीं है।उक्त बातें जिला कृषि पदाधिकारी संजय कुमार ने कहीं। उन्होंने कहा कि जिले में पर्याप्त मात्रा में बीज खाद एवं उर्वरक उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि 11168 कुंटल बीज वितरण का लक्ष्य निर्धारित रखा गया है।जिसमें से किसानों को अब तक 80% बीज वितरण किया गया है। उन्होंने कहा कि इस दौरान चना मसूर सरसों तीसी जैसे बीज किसानों को वितरण किया गया है। वहीं जिले में पहली बार स्वीट कॉर्न एवं बेबी कॉर्न की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रशिक्षण और भरपूर सब्सिडी दिया जा रहा है।साथ ही साथ बाजार का चयन भी किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिले में 28 जगह को चिन्हित किया गया है। वही एक जगह बाजार समिति के लिए भी चिन्हित किया गया है। उन्होंने कहा कि नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए जो प्रखंड में 1125 हैकटेयर में खेती की जा रही है इसके लिए किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।इसके साथ साथ किसानों को कृषि यंत्र के लिए भी लॉटरी के माध्यम से चयन किया गया है।उन्होंने कहा कि जिले में भरपूर मात्रा में बीज उर्वरक एवं खाद उपलब्ध हैं। ऐसे में किसानों को कहीं भी अधिक मूल्य देने की आवश्यकता नहीं है।उन्होंने कहा कि किसी प्रकार की शिकायत मिलने पर त्वरित कार्रवाई की जाती है। उन्होंने कहा कि खाद की कालाबाजारी को रोकने के लिए पंचायत स्तर पर कृषि समन्वयक, प्रखंड कृषि पदाधिकारी, अनुमंडल कृषि अधिकारी, सहायक निदेशक पौधा, सहायक निदेशक रसायन एवं जिला कृषि पदाधिकारी टीम में शामिल है।जो समय-समय पर खाद एवं बीज दुकानों का औचक निरीक्षण किया जा रहा है। विगत 6 महीना में अभी तक आठ दुकानदारों का लाइसेंस रद्द किया गया है।उन्होंने बताया कि जिले में कुल 746 बीज एवं 1122 खाद की दुकान है। उन्होंने बताया कि 45000 हेक्टेयर जमीन पर गेहूं की बुआई का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना के तहत किसानों को सब्सिडी देकर स्वस्थ खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिला कृषि पदाधिकारी ने कहा कि खेतों में कम से कम यूरिया उर्वरक का उपयोग करें। उन्होंने कहा कि यूरिया के आवश्यकता से अधिक प्रयोग से किसानों को ही नुकसान होता है।पैदावार तो बढती है।वही कुछ समय बाद अधिक उर्वरक के उपयोग से खेत भी बंजर हो जाते हैं।ऐसे में यूरिया का उपयोग कम से कम करने की सलाह दी।उन्होंने कहा कि अधिकतम एक बीघा में एक पैकेट यूरिया का ही प्रयोग किया जाना चाहिए। खाद की कोई कमी नहीं है। वर्तमान में 24000 मेट्रिक टन खाद उपलब्ध है। ऐसे में किसानों को पैनिक होने की कोई आवश्यकता नहीं है। किसानों को किसी प्रकार की समस्या या शिकायत होने पर कृषि विभाग द्वारा शिकायत का त्वरित समाधान किया जाता है।
BYTE :- जिला कृषि पदाधिकारी संजय कुमार।
BYTE :- किसान राजेंद्र दास।




