भागलपुर से अरविन्द कुमार के साथ पंकज कुमार ठाकुर ग्राउंड जीरो से पूरी रिपोर्ट!
भागलपुर (बिहार):-
सृजन घोटाला के मुख्य आरोपी के,भागलपुर में सभी संपत्ति को जब्त !
भागलपुर:-देश भर के बड़े घोटालों में सुमार भागलपुर में हुए सृजन घोटाला मामले में आज सीबीआई कि बड़ी कार्रवाई हुई है| वहीं सीबीआई की इस कार्रवाई के बाद घोटाले में संलिप्त आरोपियों और इससे जुड़े अन्य सफेदपोशों में हड़कंप मच गया है| दरअसल आज सीबीआई के विशेष अदालत के निर्देश पर जिला प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए मुख्य आरोपी तिलकामांझी थाना क्षेत्र के न्यू विक्रमशिला कॉलोनी निवासी अवधेश कुमार के पुत्र अमित कुमार और अमित की पत्नी यानी अवधेश कुमार की बहू रजनी प्रिया की 2.62 करोड़ की जमीन और मकान को जब्त कर लिया है| अमित कुमार और रजनी प्रिया की ये बेशकीमती मकान और जमीन नाथनगर, जगदीशपुर और सबौर अंचल में 15 स्थानों पर अवस्थित है| वहीं पूरी कार्रवाई के लिए सीबीआई के निर्देश पर बुधवार की शाम ही जिला प्रशासन द्वारा पुख्ता तैयारी कर ली गई थी|बुधवार की देर शाम सदर एसडीओ आशीष नारायण ने एक पत्र जारी कर कार्रवाई कि जानकारी दी थी| एसडीओ ने नाथनगर अंचल में कार्रवाई के लिए अंचलाधिकारी राजेश कुमार को और जगदीशपुर अंचल के लिए अंचलाधिकारी संजीव कुमार को पूरी कार्रवाई के लिए दंडाधिकारी प्रतिनियुक्त किया था| जबकि सबौर अंचल में होने वाली जब्ती कार्य के लिए अंचलाधिकारी विक्रम भास्कर झा को दंडाधिकारी के रूप में प्रतिनियुक्त कर पूरी कार्रवाई को सफलतापूर्वक संपन्न कराने की जिम्मेवारी सौंपी थी | इसके साथ ही एसडीओ में कोतवाली थाना, तिलकामांझी थाना, इशाकचक थाना, जोगसर टीओपी , ओद्योगिक थाना , नाथनगर और सबौर थाना के थानेदार को संपत्ति जब्त होने के पश्चात रिसीवर के रूप में मौके पर रहने के निर्देश दिए थे | यही नहीं जिला प्रशासन द्वारा हंगामे कि संभावित आशंका को लेकर तीनों प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी के साथ सशस्त्र पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति भी कि गई थी| वहीं दूसरी ओर कार्रवाई के पहले दिन नाथनगर अंचल और जगदीशपुर अंचल में उक्त संपत्ति को जब्त कर लिया गया| वहीं सबौर के अंचलाधिकारी ने कहा कि सबौर अंचल में शुक्रवार को जब्त करने कारवाई होगी|
सृजन घोटाला में आरोपित भगोड़े पति – पत्नी की संपत्ति जब्ती के लिए सीबीआई के अधिकारी ने डीएम को लिखा था पत्र
जानकारी के अनुसार सृजन घोटाला में आरोपित दोनों भगोड़े पति – पत्नी की संपत्ति को जब्त करने के लिए सीबीआई के पुलिस सब इंस्पेक्टर दिवेश कुमार ने पिछले 1 अक्टूबर को जिलाधिकारी प्रणव कुमार को एक पत्र लिखा था| पत्र में उक्त सब इंस्पेक्टर ने सीबीआई के विशेष अदालत का हवाला देते हुए सृजन के सूत्रधार मनोरमा देवी के आरोपित पुत्र अमित कुमार और बहू रजनी प्रिया की संपत्ति को जब्त करने केलिए कहा था| वहीं इसके पश्चात 6 अक्टूबर को डीएम प्रणव कुमार ने एसएसपी आशीष भारती और सदर एसडीओ आशीष नारायण को पूरी कार्रवाई के लिए एक पत्र लिखा था| इसी काफी में आरोपी अमित कुमार और रजनी प्रिया के नाथनगर, जगदीशपुर और सबौर अंचल में कुल 15 स्थानों पर तकरीबन 2.62 करोड़ की संपत्ति को जब्त कर लिया है| इसमें तीन वार्डों के भी संपत्ति को जब्त किया गया है| जब्त इन 15 स्थानों की संपत्ति की अगर बात करें तो इसमें 8 स्थानों पर अमित कुमार और 6 स्थानों पर रजनी प्रिया की संपत्ति है| जबकि एक स्थान पर जब्त संपत्ति में अमित कुमार के एक अन्य साझेदार होने की भी बातें सामने आयी है | जब्त समानों में फ्लैट, मकान और कुछ प्लॉट शामिल हैं| इसका इन्वेंटरी भी जिला प्रशासन द्वारा तैयार करवाकर सीबीआई के सक्षम अधिकारी को भेजा जाएगा|
सरकारी खजाने के लुटेरों कि मिली संपत्ति एक नजर में
- आरोपी अमित कुमार द्वारा खलीफाबाग के सुशीला शर्मा से 24 नवंबर 2009 को वार्ड नंबर- 29 में 155 वर्ग फीट की खरीदी गई दुकान| जिसकी अनुमानित कीमत 3.34 लाख रुपये है|
- बहरपुरा के मोहम्मद मेराज खान से वार्ड -33 में 1 दिसम्बर 2009 को 3.908 डिसमल खरीदी गई जमीन| अनुमानित कीमत 4.43 लाख रुपए|
- 6 जुलाई, 2011 को फतेहपुर में अंगिका विहार डेवलपर के पीके घोष से खरीदी गई फ्लैट| जिसकी अनुमानित कीमत 18 लाख 60 हजार रूपए|
- सबौर के फतेहपुर में 12 जुलाई 2011 को जीरोमाइल के मोहम्मद जावेद वासेय से खरीदी गई 4.5 डिसमल जमीन| जिसकी अनुमानित कीमत 4.5 लाख रुपए है|
- रजनी प्रिया द्वारा फतेहपुर में 21 जुलाई 2014 को जीरो माइल के मोहम्मद जावेदन वासनेय से खरीदी गई 2.852 डिसमल जमीन| अनुमानित कीमत 16 लाख रुपए|
- 7 नवंबर 2011 को खलीफाबाग के पुरुषोत्तम प्रसाद सिंह से साईं कंस्ट्रक्शन के पार्टनर रहते अमित कुमार ने वार्ड – 20 में 907 वर्गफिट का प्लॉट खरीदा था | जिसकी अनुमानित कीमत 22 लाख 54 हजार रूपए है|
- खलीफाबाग के सत्यदेव प्रसाद सिंह से 7 नवम्बर 2014 को वार्ड – 20 में साझेदार के साथ खरीदी गई 2.466 डिसमल का प्लॉट| अनुमानित कीमत 30 लाख रुपए|
- नाथनगर के दोगच्छी में पुरानी सराय के समीप भुवनेशवर यादव से खरीदी गई 11.75 डिसमल जमीन | अनुमानित कीमत 4.64 लख रुपए|
- 4 मार्च 2015 को मनोरमा देवी से गिफ्ट के रूप में पुत्र आरोपी अमित और बहू रजनी प्रिया को वार्ड -33 में मिले 3.312 डिसिमल जमीन| जिसमें मकान सहित अनुमानित कीमत 60 लाख रुपए|
- 28 अगस्त 2015 को गायत्री होम्स इंडिया के कौशल किशोर सिन्हा से रजनी प्रिया द्वारा वार्ड -31 में खरीदी गई फ्लैट| जिसकी अनुमानित कीमत 34.76 लाख रुपए|
- सबौर के फतेहपुर निवासी मोहम्मद शमीम से 16 फरवरी 2016 को फतेहपुर में ही रजनी प्रिया ने 3.8755 डिसिमल जमीन खरीदी थी| जिसकी अनुमानित कीमत 7.76 लाख रुपए है|
- सबौर के फतेहपुर में रजनी प्रिया ने अभिषेक कुमार से 16 फरवरी 2016 को 9.4093 डिसिमल जमीन खरीदी थी| जिसकी अनुमानित कीमत 18.82 लाख रुपए है|
- तिलकामांझी के विक्रमशिला कॉलोनी में 6 अगस्त 2011 को सहदेव यादव से रजनी प्रिया द्वारा खरीदा गया मकान| जिसकी अनुमानित कीमत 1.45 लाख रुपए है|
- 11 मई 2012 को बनवारी साह से रजनी प्रिया ने वार्ड – 33 में जमीन खरीदी थी| जिसकी अनुमानित कीमत 9.60 लाख रुपए|
- पिंकी कुमारी से अमित कुमार ने सबौर में 26 अगस्त 2013 को 10.90 डिसमल जमीन खरीदा था| इसकी अनुमानित कीमत 21.80 लाख रुपए है|
सृजन घोटाले को विस्तार से जानिए
भागलपुर में तकरीबन 2000 करोड़ के इस घोटाले का सूत्रधार सृजन की संस्थापिका मनोरमा देवी रही है| सरकारी राशि के अवैध हस्तांतरण से जुड़े इस घोटाले में मुख्य रूप से नेताओं, सरकारी विभागों और अधिकारियों की संलिप्ता रही है| जानकारी के अनुसार शहरी विकास के लिए भेजे गए पैसे को गैर-सरकारी संगठन के खातों में अवैध रूप से पहुंचाया गया। इसी दौरान उक्त राशि की बड़े पैमाने पर ऐसे लोगों के बीच बंदरबांट हुई थी । मनोरमा देवी आरोपी अमित कुमार की मां है| जिसने 1993- 1994 में ‘सृजन महिला विकास सहयोग समिति’ नाम की एक संस्था शुरू की थी। वहीं 1996 में सृजन को सहकारिता विभाग में को-ऑपरेटिव सोसाइटी के रूप में मान्यता भी मिल गई थी। इसके पश्चात को-ऑपरेटिव सोसाइटी के रूप में सदस्य महिलाओं के पैसा संस्था में जमा होने लगा । वहीं इस जमा पैसे पर खाताधारियों को ब्याज भी दिया जाता था। 2007-2008 में सृजन को-ऑपरेटिव बैंक के रूप में कार्य करने लगा| इसके घोटालों कि पटकथा यहीं से लिखी जाने लगी| यहां तक की भागलपुर में सरकारी खजाने का पैसा सृजन को-ऑपरेटिव बैंक के खाते में ट्रांसफर होता था। इसके बाद इस पैसे को बाजार में लगाया जाता था। आश्चर्य वाली बात यह भी है कि सृजन में स्वयं सहायता समूह के नाम पर कई फर्जी ग्रुप भी बन गए थे। ऐसे फर्जी लोगों के और ग्रुप में खाते भी खुले और इन खातों के माध्यम से नेताओं और अधिकारियों का काला धन सफेद होना शुरू हो गया।
सृजन के मुख्य आरोपी अब भी फरार…… आरोपी अमित और रजनी प्रिया का पता करने में सीबीआई नाकाम
भागलपुर को कलंकित करने वाला सृजन घोटाला उजागर होने के साढ़े तीन साल बीत चुके हैं| बावजूद इसके घोटाले के मुख्य आरोपी अमित कुमार और रजनी प्रिया का पता लगाने में सीबीआई नाकाम रही| विभिन्न सरकारी योजनाओं में करोड़ों रुपये का हेराफेरी कर सरकारी राशि का अवैध हस्तांतरण सरकारी अधिकारियों, बैंककर्मियों और बिचौलियों के माध्यम से सृजन महिला विकास सहयोग समिति में जमा हुआ| हर किसी ने जिसे मौका लगा जमकर लुटा| लेकिन जिला प्रशासन से लेकर प्रदेश सरकार तक बेखबर रही| सरकारी खाते में पैसा नहीं होने के कारण जब चेक बाउंस हुआ तब मामला प्रकाश में आया| जांच का जिम्मा सीबीआई को तो मिली लकिन कछुए की गति से चल रहे सीबीआई जांच पर कई प्रश्न चिन्ह भी लगे| इसमें संलिप्त छोटे आरोपी तो सलाखों तक पहुंचा लेकिन बड़े आरोपी आज भी मनचाहे स्थानों पर शायद मस्ती कर रहे हैं| ऐसे में हो ना हो ये लोग जांच टीम को भी खुली चुनौती दे रहे हैं|