जीवन विद्या : संबंध की परिपूर्णता की स्वीकृति मानवीय हीत – आचार्य नवीन

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रिपोर्ट अनमोल कुमार

अष्टांग योग केन्द्र, रेड क्रॉस सोसाइटी के सभागृह में आयोजित युवाओं के लिए जीवन विद्या पर आधारित कार्यशाला को संबोधित करते हुए आचार्य नवीन ने कहा कि आज संबंध में दरार का कारण पूर्ण रूप से संबंध के अनुबंध और स्वीकृति का आभाव है। बाल अवस्था में जन्म से बच्चा सत्य वक्ता होता है, सही कार्य और व्यवहार करता है साथ ही करने के लिए इच्छुक होता है परन्तु उम्र बढते ही यह विलुप्त हो जाता है जिसे संजोग कर रखने के लिए है। जीवन की अवस्था पदार्थ, प्राण, जीव और ज्ञान से जुडा़ हुआ है।
उन्होंने कहा कि संबंध सात प्रकार के होते हैं, माता – पिता, पति – पत्नी, भाई – बहन, मित्र – मित्र, गुरु – शिष्य, साथी – सहयोगी और प्रकृति के साथ। इसे व्यावहारिक रूप से बनाएं रखना है।
प्रायोगिक रूप से खुश रहने के लिए कौन – कौन से काम करते हैं और खुश रहकर कौन – कौन से काम करते है कि तालिका बनवाकर प्रस्तुत करवाया। व्यवस्था संचालन में सोमेश अग्रवाल और मल्लिका अग्रवाल की भूमिका सराहनीय थी। रिपोर्ट अनमोल कुमार।

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