रिपोर्ट- न्यूज़ डेस्क!
बिहार में स्टेट हेल्थ सोसाइटी (SHSB) पर पटना हाई कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने का गंभीर आरोप लगा है। मामला सरकारी अस्पतालों में पैथोलॉजी सेवाओं की निविदा से जुड़ा है, जहां हाई कोर्ट के निर्देश के बावजूद नई कंपनी को जबरन काम करने दिया जा रहा है।
क्या है पूरा मामला?
बिहार के सरकारी अस्पतालों में पैथोलॉजी टेस्ट का काम POCT नाम की कंपनी पिछले पांच वर्षों से कर रही थी और 2023 में इसे तीन साल का एक्सटेंशन भी दिया गया था। लेकिन अक्टूबर 2024 में स्टेट हेल्थ सोसाइटी ने नई निविदा जारी की, जिसमें सबसे कम बोली साइंस हाउस की थी। बावजूद इसके, इस कंपनी की बोली को खारिज कर दिया गया और हिंदुस्तान वेलनेस को ठेका दे दिया गया।
साइंस हाउस ने हाई कोर्ट का रुख किया और आरोप लगाया कि स्टेट हेल्थ सोसाइटी ने टाइपोग्राफी की मामूली गलती को बहाना बनाकर उसकी बोली रद्द कर दी और दूसरी कंपनी को अनुचित लाभ पहुंचाया।
पटना हाई कोर्ट का आदेश:
24 जनवरी को पटना हाई कोर्ट की जस्टिस पी.बी. बजंथ्री की बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि अगली सुनवाई (31 जनवरी) तक कोई नई व्यवस्था लागू नहीं की जाएगी।
लेकिन आरोप है कि बिहार स्टेट हेल्थ सोसाइटी और हिंदुस्तान वेलनेस ने इस आदेश की अनदेखी करते हुए नई कंपनी को जबरन काम करने की अनुमति दे दी।
बड़ा सवाल:
क्या बिहार स्टेट हेल्थ सोसाइटी कानून से ऊपर है?
क्या पटना हाई कोर्ट के आदेश सरकारी अस्पतालों और मेडिकल सुपरिंटेंडेंट्स पर लागू नहीं होते?
क्या इस निविदा प्रक्रिया में भ्रष्टाचार हुआ है?
अब 31 जनवरी को हाई कोर्ट में इस मामले की अहम सुनवाई होगी, जहां यह तय होगा कि स्टेट हेल्थ सोसाइटी ने कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया या नहीं।
“पटना हाई कोर्ट ने 24 जनवरी को स्पष्ट आदेश दिया था कि 31 जनवरी तक कोई नई व्यवस्था लागू नहीं होगी। लेकिन स्टेट हेल्थ सोसाइटी और नई कंपनी ने आदेश को नजरअंदाज किया। यह न्यायालय की अवमानना का मामला है और इसकी गहन जांच होनी चाहिए।”
— कानूनी विशेषज्ञ / संबंधित अधिकारी