रिपोर्ट- आशुतोष पांडेय
-मुसहर समुदाय के बने मसीहा भोजपुर के समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता, पिछले 22 वर्षों से अपनी संस्था ‘नई आशा’ के माध्यम से समाज के सबसे हाशिए पर पड़े समूहों में से एक मुसहर समुदाय के उत्थान के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं।शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आजीविका तक उनकी बेहतर पहुँच के लिए काम करने से भोजपुर जिले के 13 ब्लॉकों में 200 से अधिक मुसहर टोलों में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा में भागीदारी बढ़ी है।सरकारी स्कूलों में 8,000 से अधिक मुसहर बच्चों का नामांकन कराया और एक बड़ी लाइब्रेरी की स्थापना की।भोजपुर और बक्सर जिलों में 100 से अधिक स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया। अपनी अंतर्दृष्टिपूर्ण पुस्तकों “नेम प्लेट” और “फ्रॉम कोलकाता टू कोलकाता” के माध्यम से महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित किया, जो हाशिए पर पड़े समूह के संघर्षों और आकांक्षाओं को उजागर करते हैं। भीम सिंह भावेश पत्रकारिता जगत में भी अपनी पहचान पहले ही बना चुके हैं। दरअसल भीम सिंह भावेश राष्ट्रीय सहारा अखबार के ब्यूरो प्रभारी भी भोजपुर जिले के रह चुके हैं और उन्होंने पत्रकार रहते हुए सामाजिक कार्य किया और मुसहर समुदाय के लिए मिल का पत्थर साबित हुए। आज भीम सिंह भावेश ने नई आशा एनजीओ के बैनर के तले मुसहर समाज को उत्थान के लिए उसे मुकाम तक पहुंचा दिया है जहां मुसहर आज अपने आप को पढ़ा लिखा मान रहे हैं।