पपीते की खेती ने किसानों की खुशहाली का द्वार खोला, बन रहे आत्मनिर्भर!

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कटिहार से रतन कुमार की रिपोर्ट

हसनगंज प्रखंड के किसान पपीता की खेती कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं। पहले जिन खेतों में धान, गेहूं, मक्का, पाठ की खेती होती थी, अब वहां किसान पपीते की खेती कर रहे हैं। धान-गेहूं की तुलना में पपीते की खेती में पांच गुणा ज्यादा लाभ है। किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए इधर-उधर भटकना भी नहीं पड़ता है। स्थानीय बाजार में भी पपीते की मांग सालों भर रहती है। युवा किसान पीयूष कांत मिश्रा अपने ढाई बीघा खेतों में नये नस्ल के पपीता का पौधा लगाये है।
जगरनाथपुर पंचायत स्थित बघुवाकोल गांव के युवा किसान पीयूष कांत मिश्रा ने बताया कि प्रारपरिक खेती से हट कर बड़ी इलाची और गोल मरीज की खेती किये थे अब पहली बार पपीते की खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं। अभी कम लागत में अधिक लाभ होने पर अगले साल बड़े स्तर पर खेती करने की बात कही। उन्होंने बताया कि पहले जिस खेत में धान-गेहूं की खेती होती थी, आज उसी में वह पपीता की खेती कर रहे हैं। किसी तरह की परेशानी नहीं हो रही है। आसपास के गांव के अन्य किसानों ने भी इस बार पपीते की खेती करने की मन बना रहे है।

हालांकि इसके पौधे और फल में बीमारियों और कीड़ों का प्रकोप ज्यादा होने की बात सामने आई है। पत्तियां येल्लो ब्लाइट से पीली हो जाती हैं और इसका असर फलन पर पड़ता है। उन्होंने बताया कि पेड़ के फल जब हरे से पीले होने लगे उसी समय उन्हें तोड़कर भंडारण कर देना चाहिए। फल तोड़ने के दौरान दाग-धब्बे लगने से भंडारण के दौरान सड़ने की संभावना ज्यादा होती है। उन्होंने कहा कि समय-समय पर दवाई के छिड़काव और विशेष देखभाल रखना होता है।

बचाव का बेहतर आहार

पिरामल स्वास्थ्य के बिटीओ विभूति चंद युगल ने बताया कि पपीते में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है। यह शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। जिससे वायरल बीमारियों का असर कम होता है। यह कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव का एक बेहतर आहार है। पपीते में मिलने वाली विटामिन ए की मात्रा आंखों की रोशनी को बढ़ाता है। साथ ही बढ़ती उम्र की समस्त समस्याओं से भी निजात दिलाता है। पपीते के नियमित सेवन से शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को भी नियंत्रित करता है। इससे हृदय रोग की समस्या काबू में रहता है। पपीते में फाइबर की मात्रा प्रचूर रहती है। साथ ही कई पाचक एंजाइम भी होते हैं। यह पाचन क्रिया को दुरुस्त रखता है। इससे कब्ज जैसी बीमारी भी नहीं होती है। महिलाओं में माहवारी के दौरान होने वाली परेशानियों को भी दूर करता है। पपीते के सेवन से त्वचा संबंधी रोग से भी निजात मिलती है। कच्चे पपीते को पीसकर उसे बालों में लगाने से बाल घने और सुंदर होते|

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