रिपोर्ट- आशुतोष पांडेय!
कारजा मे प्रवचन करते हुए श्री जियर स्वामी जी ने कहा कि
सूर्य सम्पूर्ण लोकों का आत्मा हैं। सूर्य तेज, ऐश्वर्य का देवता हैं। सूर्य यदि न रहें तो सारा दुनिया अंधकारमय हो जाएगा। सूर्य के अभाव में प्रकृति में ऐसे उपद्रवकारी जीव उत्पन्न हो जाएंगे कीटाणु प्रकट हो जाएंगे और उन्ही से सारी दुनिया समाप्त हो जाएगी। सूर्य प्रकाश ही नही देते हैं वस्तुतः सूर्य के कारण ही प्रकृति बैलेंस बनाये रखती है। सूर्य कल्याण करने वाले हैं। सूर्य प्रत्यक्ष देवता हैं। ऐसे सूर्य को रोज अर्ध्य देना चाहिए। यदि सूर्य नाराज हो जाते हैं तो घर में श्री, ऐश्वर्य खत्म हो
अगर कोई नालायक व्यक्ति या दुष्ट व्यक्ति कुछ बात आपके बारे में कह रहा है और आपमें वह दोष नही है तो एक न एक दिन चुप लगा जाएगा। बार-बार अगर कहीं नालायक व्यक्ति, दुष्ट व्यक्ति अपने आप में अनेक प्रकार के अव्यवस्थित व्यक्ति अकारण ही कहीं आपसे विरोध करता हो तो समझना चाहिए कि अपना ही अस्तित्व, ऐश्वर्य को समाप्त कर रहा है। दुनिया क्या कहती है इसको सुनिए, सुन करके अगर आप में कोई दोष हो तो दोष का निवारण कीजिए, लेकिन सबसे जवाब-सवाल और सबसे विवाद से समाधान नही होगा।
नालायक व्यक्ति के संग में एक छण में बिगड़ा जा सकता है।
उन्होंने बताया कि छह घंटा मंदिर में आप बैठते हैं उससे आपको सुधार होगा की नही यह नही कहा जा सकता है। लेकिन एक मिनट भी कहीं नालायक व्यक्ति के साथ बैठ जाएंगे तो आप बिगड़ जाएंगे यह बात हो सकती है। जैसे सौ मिट्टी का बर्तन हो और एक जुठा मिट्टी का पात्र है तो सौ के सौ नये मिट्टी के पात्र को अशुद्ध हो जाता है। परंतु सौ मिट्टी के शुद्ध पात्र मिलकर भी एक अशुद्ध पात्र को शुद्ध नही कर सकता है। इसलिए कुसंग द्वारा हम अपने आप में बिगड़ सकते हैं। सत्संग द्वारा हमें बनने में अपने आप में देर लग सकती है लेकिन कुसंग द्वारा अल्प समय में ही बिगड़ने में देर नही लगेगी।