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अस्तित्व के प्रति विश्वास से स्वयं के प्रति विश्वास। स्वयं के प्रति विश्वास से संबंधो के प्रति विश्वास!

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रिपोर्ट – अनमोल कुमार

अस्तित्व के प्रति विश्वास से स्वयं के प्रति विश्वास। स्वयं के प्रति विश्वास से संबंधो के प्रति विश्वास, संबंधो के प्रति विश्वास से परिवार मे उभय तृप्ति और समृद्धि का भाव समाज में अभयता का भाव से जीना होता है – आचार्य नवीन

गया। संध्या में पितामहेशवर गुरु वन्दना ( भारत गैस एजेन्सी) के सभा कक्ष में जीवन विद्या योजना के अन्तर्गत आयोजित दैनिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आचार्य नवीन ने कहा कि विश्वास का पहला बुनियाद स्वयं प्रति विश्वास करना है, उसके बाद संबंधो के प्रति विश्वास , संबंधो में विश्वास से जीने पर कार्य से समृद्धि और व्यवहार में उभय तृप्ति पूर्वक जीना होता है। इस तरह जीता हुआ मानव गरीबी – अमीरी की दलदल से अभाव का अभाव में स्थापित हो जाता है।

श्री नवीन ने कहा कि स्वयं का स्वयं के लिए उपयोगिता का नाम समाधान है। स्वयं का परिवार के लिए उपयोगिता का नाम समृद्धि है, स्वयं का समाज के लिए उपयोगिता का नाम अभयता है और स्वयं का प्राकृति ( व्यवस्था) के लिए उपयोगिता का नाम सह अस्तित्व है। यही हर मानव का लक्ष्य है। मानव का लक्ष्य डॉक्टर, इंजीनियर, अन्य बनना नही है, यह मात्र सामाजिक व्यवस्था को चलाने के लिए है। साथ ही यह शरीर का पोषण और संरक्षण का जुगाड है। मानव लक्ष्य तो , सुख, शांति, संतोष, आनंद है।
मानव का सारा श्रम,विश्राम के लिए है।

विश्राम का मतलब विलासिता नही अपितु मानसिक शांति है।

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