रिपोर्ट- आशुतोष पांडेय!
Script: Community Jetties (Bihar & Jharkhand)
देश में बुनियादी ढाँचे के विकास की माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की दूरगामी नीतियों ने परिवहन के परिदृश्य को पूर्णतः बदल दिया है। इसमें जलमार्ग परिवहन एक महत्वपूर्ण कड़ी है। नदियों के देश भारत में दस साल पहले मात्र पाँच जलमार्ग हुआ करता था और वे नौगम्य भी नहीं थे। प्रधान मंत्री जी ने जलमार्ग परिवहन की आवश्यकता को पहचाना और 111 जलमागाँ के विकास का बीड़ा उठाया। इसी कारण आज जलमार्ग विकसित भारत का नया सामर्थ्य बन कर उभर रहा है।
माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में पिछले कई वर्षों में भारत में जलमार्ग विकास का एक नया अध्याय लिखा गया जिसके अन्तर्गत वाराणसी, साहिबगंज एवं हल्दिया में multi modal terminal एवं राष्ट्रीय जलमार्ग – 1 पर फरक्का में नये लॉक गेट का निर्माण किया गया।
इसके साथ पूरे देश में कई नदियों पर छोटे बड़े Inter-modal terminal और सामुदायिक जेट्टियों का निर्माण किया गया जिससे यात्री परिवहन एवं माल ढुलाई आसानी से हो सके। रेल एवं सड़क यातायात की तुलना में जलमार्ग यातायात न्यूनतम लागत एवं कम प्रदूषण फैलाने वाला माध्यम है जो प्रधानमंत्री जी के नेट जीरो के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होगा।
Byte: Hon’ble Prime Minister
जलमागों के अभूतपूर्व विकास के फलस्वरूप यात्री परिवहन एवं माल ढुलाई में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2013-14 में राष्ट्रीय जलमार्गों द्वारा कुल माल ढुलाई 18 मिलियन टन से 600 प्रतिशत वृद्धि के साथ 2022-23 में 126 मिलियन टन तक पहुँच गया है। साथ ही वाराणसी, साहिबगंज और हल्दीया multi modal terminal तथा कालूघाट टर्मिनल के बनने से कार्गो हैंडलिंग क्षमता माल उतारने और चढ़ाने की क्षमता) में 8.4 मिलियन टन की वृद्धि हुई है।
Byte: Hon’ble Minister
काशी विश्वनाथ की नगरी वाराणसी से पश्चिम बंगाल के औद्योगिक नगर हल्दिया को जोड़ने के लिए जल मार्ग विकास परियोजना के तहत विश्व बैंक की तकनीकी एवं आर्थिक मदद से गंगा नदी पर राष्ट्रीय जलमार्ग – 1 को विकसित किया गया। राष्ट्रीय जलमार्ग – 1 उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल को जोड़ता है।
पतन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण ने न केवल राष्ट्रीय जलमार्ग 1 को नौगम्य बनाया, बल्कि भारी औद्योगिक कागों- कोयला स्टोन चिप्स, लोहा, स्टील आदि की आवाजाही के लिए वाराणसी, साहिबगंज और हल्दीआ में मल्टी-मोडल टर्मिनल का भी निर्माण किया।
जल मार्ग विकास परियोजना मुख्य रूप से व्यापारिक और औद्योगिक कार्गो परिवहन सक शोगित है। स्थानीय समुदायों, किसानी, छोटे व्यापारियों की आवश्यकता को पूरा करने और स्थानीय लोगों के विकास को बढ़ावा देने के लिए अर्थ गंगा, जल मार्ग विकास परियोजना 2 की शुरुआत की गयी।
MVP के अन्तर्गत, भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्यों में गगंगा नदी के किनारे रहने वाले 7.5 करोड़ से अधिक लोगों के लाभ के लिए राष्ट्रीय जलमार्ग 1 पर 60 से अधिक सामुदायिक जेट्टी का निर्माण कर रहा है।
बिहार, झारखण्ड और उत्तर प्रदेश राज्यों में अब तक 27 सामुदायिक जेट्टियों का निर्माण किया गया है और उनमें आवाजाही सुनिश्चित की गयी है। जबकि पश्चिम बंगाल में 11 HDP और 4 Concrete जेट्टी के निमोण की प्रक्रिया चालू है। बिहार में 9 करोड़ रुपये की लागत पर 5 स्टील जेट्टियों का निर्माण – Digha, Nakhta Diyara, Raghopur Diyara, Hasanpur और Barh (बाढ़) में किया गया है। वहीं साढ़े 5 करोड़ रुपये की लागत पर 9 HDPE जेट्टियों का निर्माण Mahuli Ghat, Panapur, Nasiriganj, Kachi Dargah, Munger, Sultanganj, Aguani, Ramrekha Ghat और Manihari में किया गया है। इसके अलावा झारखंड के राधानगर और सिंगहीदालान (singhidalan) में भी स्टील जेट्टी का निर्माण किया गया है।
जल मार्ग विकास परियोजना 2 की शुरुआत छोटे व सीमांत किसानों, मत्स्य इकाइयों, असंगठित कृषि इकाइयों, बागवानों, फूलों के उत्पादकों एवं कारीगरों को सस्ता एवं सुगम यातायात का साधन उपलब्ध कराने के साथ-साथ उन्हें आजीविका के बेहतर स्त्रोत मुहैया कराने के उद्देश्य से की गयी है। इन घाटों में रैप, छायादार प्रतीक्षा क्षेत्र, सार्वजनिक सुविधाएं, टिकट काउंटर/व्यवस्थापक कक्ष, सोलर ललाइट जैसी सुविधाएं हैं। स्थापित की गयी जेट्टियों द्वारा लोग आसानी से कृषि उपज, फूल, मछली और अनाज आदि का परिवहन कर रहे हैं। इस प्रकार बाजारों में उपज के सुचारु परिवहन की सुविधा होने से रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिल रहा है।
हर साल, बाढ़ गंगा नदी के प्रवाह को बदल देती है। ऐसी स्थिति में सामुदायिक जेट्टी हर मौसम में लोगों की आवाजाही को सुचारु बनाये रखने में सहायक होती है।
सामुदायिक जेट्टियों का निर्माण देश के लाखों व्यापारियों, विभिन्न समुदायों और आम लोगों के लिए वरदान साबित हुआ है। स्थानीय स्तर पर आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, परिवहन के अन्य साधनों पर पड़ रहे दबाव को कम करने और स्थानीय व्यवसाइयों को आपस में जोड़ने में सामुदायिक जंटटियों की महत्वपूर्ण भूमिका है जो देश की आर्थिक प्रगति को एक नयी दिशा प्रदान करेगा।