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अखिल भारतीय किसान महासभा ने गन्ना मंत्री से गन्ना का मूल्य 400/- प्रति किवंटल करने की मांग की!

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अश्वनी सिंह की रिपोर्ट :-

अखिल भारतीय किसान महासभा ने गन्ना मंत्री से मिलकर गन्ना मूल्य 400/- प्रति किवंटल करने की मांग संबंधी ज्ञापन सौंपा
बेतिया 27 अगस्त। अखिल भारतीय किसान महासभा के जिला अध्यक्ष सुनील कुमार राव ने राज्य के गन्ना मंत्री डॉक्टर शमीम अहमद से पटना में मुलाकात कर गन्ना किसानों की समस्याओं से अवगत करा समाधान की मांग किया। अपने आवेदन में उन्होंने लिखा यह सर्वविदित है कि बिहार से झारखण्ड के अलग होने के बाद अगर बचा तो चीनी उद्योग जो किसानों के लिए सबसे बड़ा नकदी फसल है। राज्य की कुल 32 चीनी मिलों में से अब सुचारू रूप से मात्र 9 चीनी मिलें ही चलती है। गोपालगंज की सासामुसा चीनी मिल पिछले पेराई सत्र में गन्ना के अभाव में कुछ रोज चलने के बाद बंद हो गई। राज्य सरकार से चीनी मिलों को हमेशा विभिन्न तरह की रियायतें मिलती रही है। फिर भी चीनी मिलें किसी न किसी तरह से अंग्रेजी राज में नील की खेती करने वाले किसानों को नीलहों के समान को लूटते रहती है। इसलिए चम्पारण के गांवों में यह किस्सा प्रचलित है कि ‘निलहों के बाद मिलहों के लुट से किसानों की परेशानी बढ़ी हैं। इस पार रोक लगनी चाहिए। ऐसे में आपकी नयी सरकार किसानों की परेशानियों को हल करती है तो किसानों को बहुत राहत मिलेगी, जो निम्न हैं:
01. नया गन्ना पेराई सत्र शुरू होने से पहले गन्ना मूल्य घोषित हो :- सबसे बड़ी समस्या यह है कि किसान चीनी मिलों को गन्ना दे देते हैं तब सरकार चीनी मिल की बैठक बुला गन्ना रेट तय करती हैं। इस बैठकों में किसानों के बीच संघर्ष चलाने वाले किसानों को नहीं रखा जाता है। ऐसे में चीनी मिलें मनमानी रेट तय कर लेती है और चीनी मिलों में गन्ना गिराने वाले किसान अपने को ठगा महसूस करते है। अगर सरकार असल में किसान हितैषी बनना चाहती है तो खेती में बढ़े लागत खर्च, तथा- डीजल, खाद, किटनाशक और मजदूरी आदि के अनुरूप गन्ना मूल्य कम से कम ₹400/– प्रति किवंटल तय करे। गन्ना रेट तय करते वक्त राज्य के गन्ना किसानों के लिए संघर्षरत किसान संगठ‌नों के प्रतिनिधियों को शामिल करें। चीनी मिलें अपने दलाल किसान प्रतिनिधियों को बैठकों में बुला मनमानी रेट तय करा लेती है।
02– गन्ना पेराई सत्र शुरू होने से पहले चीनी मिलों को यह निर्देशित किया जाय कि खुट्टी गन्ना चालान निर्गत करने में अगात, मध्यम और निम्न कोटी में भेदभाव नहीं किया जाय। ऐसा करने से खुट्टी गन्ना काट गेंहूँ आदि फसलों को लगाने में परेशानी नही होगी।
03. घटतौली पर रोक के लिए चीनी मिलों के गेट पर सरकारी धर्म कांटा लगे:- यह भी सर्वविदित है कि चीनी मिलों द्वारा गन्ना तौल में चोरी छुपे घटतौली की जाती है। प्रति ट्रेलर 10 से 12 क्विन्टल व टायर पर 4 से 6 क्वीटल तक। इसकी शिकायत पर विभागीय कार्रवाई में लिपापोती कर दिया जाता है। ऐसे में इसपर रोक के लिए चीनी सेस के रुपये से चीनी मिलों के गेटों पर जिला प्रशासन के देख रेख में सरकारी धर्मकांटा लगवाया जाय।
04. छोटे-मझोले किसानों के लिए पुअर डे लागू हो :- चीनी मिलों द्वारा बड़े किसानों के अधिक गन्ना रकबा का हवाल दे गन्ना चालान निर्गत करने और छोटे मझौले किसानों का गन्ना चालान नही देने के वजह से गन्ना की खेती के प्रति रुझान कम हो जाता है। ऐसे में उनके लिए चीनी मिलों में पूर्व में चलने वाले सप्ताह में एक दिन पुअर डे को पुन: शुरू कर इसे सख्ती से लागु कराया जाय। तथा छोटे रकबादारों का भी गन्ना नापी उनके नाम से करने की चीनी मिलों को हिदायत दिया जाय।10 एकड़ से अधिक रकबादारों के जमीन का सत्यापन अंचल कार्यालयों से कराया जाय।

  1. गन्ना सेस के रूपया में प्रतिवर्ष सरकार द्वारा कटौती किया जा रहा है। इसमें बढ़ोतरी किया जाय। गन्ना सेस के रुपया से चीनी मिलों में किसानों, ट्रेक्टर ड्राइवर आदि के लिए सेड़, गर्म कपडा आदि दिया जाय तथा टुटे हुए सड़को का निर्माण कराया जाय ताकि किसानों को परेशानी नहीं हो।
  2. चीनी मिलों में किसानों को दिये जाने वाले विभिन्न किस्म की सबसीड़ी बड़े व दलाल किस्म के किसानों को चीनी मिलों के अधिकारीयों के मेल से दे दिया जाता है। छोटे मझौले किसानों को भी सबसीडी की गारंटी हो। एक ही व्यक्ति या परिवार में बार बार सबसीडी देने पर रोक लगे।

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