बाल देखरेख संस्थानों के निरीक्षण के लिए गठित जिलास्तरीय समिति ने लिया जायजा!

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रिपोर्ट – संतोष चौहान!

सुपौल :- आज दिनांक 29.11.2025 को सावन कुमार, जिलाधिकारी, सुपौल की अध्यक्षता में बाल देखरेख संस्थानों के त्रैमासिक निरीक्षण के लिए गठित जिलास्तरीय निरीक्षण समिति द्वारा सुपौल जिले में समाज कल्याण विभाग अन्तर्गत जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा संचालित बाल देखरेख संस्थानों का निरीक्षण किया गया। पिपरा रोड के यादव कॉम्प्लेक्स में संचालित विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान से निरीक्षण की शुरूआत करते हुए इस संस्थान में आवासित चार बच्चों की परवरिश एवं देखरेख की समीक्षा करने के साथ-साथ इस संस्थान के माध्यम से बच्चों के गोद लेने से संबंधित मामलों की प्रगति का आकलन किया गया। निरीक्षण के दौरान उपस्थित चिकित्सा पदाधिकारी को यह निदेश दिया गया कि जिले में स्थित सभी चिकित्सा संस्थानों को यह जानकारी दी जानी चाहिए कि उनके प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी जन्म के बाद किसी भी कारण से परित्यक्त बच्चों के बारे में अविलम्ब चाईल्ड हेल्पलाईन के टॉल फ्री नम्बर 1098 पर सूचित करें। इस तरह से ऐसे बच्चों को कानूनी प्रक्रिया के द्वारा उपयुक्त परिवार में गोद दिया जाना संभव हो सकेगा। जिले के चिकित्सा केन्द्रों को इस बात की सूचना भेजी जाए कि किसी भी बच्चे को कानूनी प्रक्रिया से गोद देने का कार्य विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान द्वारा ही किया जाता है, इसलिए किसी चिकित्सा केन्द्र द्वारा अवैध रूप से किसी भी परित्यक्त बच्चे को गोद नहीं दिया जाए। किसी भी चिकित्सा केन्द्र द्वारा अवैध रूप से किसी भी बच्चे को किसी व्यक्ति को गोद देना कानूनन अपराध एवं दण्डनीय है।
विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान के निरीक्षण के पश्चात् निरीक्षण समिति द्वारा चैनसिंह पट्टी स्थित वृहद आश्रय गृह में देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों के लिए संचालित दो बाल गृहों का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण समिति द्वारा वृहद आश्रय गृह एवं इसके दोनों बाल गृहों की स्वच्छता एवं बच्चों के आवासन के लिए समुचित व्यवस्था की सरहाना की गई। इन दोनों बाल गृहों में आवासित कुल 60 बच्चों की स्थिति का अवलोकन किया गया तथा बच्चों से उनके लिए उपलब्ध सेवाओं के बारे में पूछा गया। किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 के प्रावधानानुसार अनाथ, बेसहारा, घर से भागे हुए एवं परित्यक्त बालकों की देखरेख एवं संरक्षण के लिए बाल गृह का संचालन किया जाता है। इन बच्चों के बरामद होने के पश्चात् इन्हें बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है तथा ऐसे बच्चों को तब तक के लिए इन बाल गृहों में संरक्षित रखा जाता है जब तक कि उनके परिवार का पता नहीं चल जाए। इनके माता-पिता या परिवार का पता चलने पर इन्हें इनके परिवार में पुनर्वासित कर दिया जाता है। इसलिए निरीक्षण समिति द्वारा इन बाल गृहों में आवासित बच्चों के उनके परिवारों में पुनर्वासन की संभावनाओं का भी आकलन करते हुए इससे संबंधित आवश्यक सभी कानूनी प्रक्रियाओं को ससमय पूरा करने का निदेश दिया गया। निरीक्षण के दौरान इन बाल गृहों में बच्चों के लिए लिए आवासन, भोजन, शिक्षा एवं स्वास्थ्य के लिए समुचित व्यवस्थाओं की समिति द्वारा सराहना की गई तथा इनके कर्मियों को बेहतर सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रोत्साहित किया गया। निरीक्षण के दौरान निरीक्षण समिति के सदस्य के रूप में जिलाधिकारी के साथ सहायक निदेशक बाल संरक्षण, सिविल सर्जन, सर्वशिक्षा अभियान के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष एवं सदस्य, आदि उपस्थित थे।

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