रिपोर्टर — राजीव कुमार झा
मधुबनी मिथिला के परंपरा अनुसार अगहन मास जो अंग्रेजी कलेंडर नवंबर दिसंबर के समय आता है उसमें रवि व्रत (सूर्य का व्रत) शुरू होता है, जो शुक्ल पक्ष के पहले रविवार से शुरू होकर छह महीने तक चलता है। इस व्रत में सूर्यदेव की पूजा की जाती है और यह चर्म रोग, रक्त विकार से मुक्ति और संतान की सुख-समृद्धि के लिए उत्तम माना जाता है। इस व्रत में एक दिन पहले ‘नहाय-खाय’ होता है और अगले दिन रविवार को सूर्य को अर्घ्य देकर, एक बार भोजन किया जाता है।
व्रती महिलाएं शनिवार को ‘नहाय-खाय’ करती हैं। इसके बाद रविवार के लिए पकवान (जैसे खीर, पुड़ी) और पूजा की अन्य सामग्री जैसे टेकुआ, फल, पान-सुपारी, फूलमाला आदि तैयारी के साथ पूजा अर्चना करती है।
इस व्रत में एक बार ही भोजन किया जाता है, जिसमें प्रसाद स्वरूप खीर, फल आदि ग्रहण कर सकते हैं। रविवार को नमक और तामसिक भोजन (मांस, मछली, शराब) का सेवन करने की अनुमति नहीं होती है।




