रिपोर्ट- निभाष मोदी
नाथनगर के निप्स अंबै पंचायत में सड़क निर्माण कार्य में पुरानी ईंटों के उपयोग का मामला तूल पकड़ता जा रहा, ग्रामीणों ने जताई नाराज़गी
भागलपुर: नाथनगर प्रखंड अंतर्गत निप्स अंबै पंचायत में मनोहरपुर भवानीपुर रोड से दिग्घी रोड तक चल रहे ईंट सोलिंग एवं पीसीसी सड़क निर्माण कार्य पर अब सवाल उठने लगे हैं। मंगलवार को ग्रामीणों ने इस कार्य का खुलकर विरोध किया और निर्माण कार्य में भारी अनियमितताओं का आरोप लगाया।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि सड़क निर्माण में जो ईंट बिछाई जा रही है, वह नई नहीं बल्कि मकानों से निकाली गई पुरानी और टूटी-फूटी ईंटें हैं। इससे सड़क की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। लोगों ने आशंका जताई कि निर्माण कार्य में जमकर लापरवाही बरती जा रही है और सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है।
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि यह योजना किस फंड से संचालित हो रही है, इसकी कोई जानकारी सार्वजनिक रूप से नहीं दी जा रही है। पंचायत से लेकर प्रखंड स्तर तक के सभी अधिकारी और जनप्रतिनिधि इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं, जिससे आम जनता में असंतोष की भावना उत्पन्न हो रही है।
ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने पहले भी इस मामले की शिकायत की थी, लेकिन न तो प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) और न ही बीपीआरओ ने क्षेत्र में आकर किसी तरह की जांच की। शिकायतों के बावजूद प्रशासनिक उदासीनता से लोग बेहद नाराज़ हैं। स्थानीय स्तर पर की गई शिकायतों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती, बल्कि मामला रफा-दफा कर दिया जाता है।
इस पूरे कार्य को पंचायत के मुखिया के पुत्र संजीव कुमार द्वारा देखा जा रहा है, जो कि रेलवे में कार्यरत हैं। जब ग्रामीणों ने उनसे पुरानी ईंटों के इस्तेमाल को लेकर सवाल किया तो उन्होंने साफ कहा – “यही ईंट लगेगा।” यह जवाब ग्रामीणों के गले नहीं उतरा और इससे नाराज़गी और बढ़ गई।
पत्रकार द्वारा जब इस विषय पर संजीव कुमार से बात करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने फोन कॉल रिसीव नहीं किया। इससे स्पष्ट होता है कि जवाबदेही से बचा जा रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि वे अब इस मामले की शिकायत जिले के वरीय अधिकारियों से मोबाइल के माध्यम से करने जा रहे हैं और यदि फिर भी कार्रवाई नहीं हुई, तो वे धरना-प्रदर्शन व आंदोलन के रास्ते पर भी जा सकते हैं।
इस पूरे मामले से यह स्पष्ट है कि नाथनगर प्रखंड में चल रही योजनाओं में पारदर्शिता की भारी कमी है और स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता के चलते जनता को अपनी आवाज़ बुलंद करनी पड़ रही है।