काँटी थाना हाजत में युवक की मौत बनी मुजफ्फरपुर पुलिस के लिए गले की हड्डी!

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रिपोर्ट- संतोष तिवारी!

आखिर कब, क्यों, कैसे हुई मौत? डीएम, एसएसपी बताएँ!

काँटी थाना हाजत में युवक की मौत बनी मुजफ्फरपुर पुलिस के लिए गले की हड्डी!

एनएचआरसी की कार्रवाई के बाद प्रशासनिक महकमें में आया भूचाल!

18 बिंदुओं पर मुजफ्फरपुर के डीएम और एसएसपी देंगे जबाव, नोटिस जारी!

मानवाधिकार अधिवक्ता एस.के.झा की याचिका पर आयोग में चल रही है सुनवाई!

मुजफ्फरपुर :- जिले केकाँटी थाना हाजत में युवक की मौत बनी मुजफ्फरपुर पुलिस के लिए गले की हड्डी! काँटी थाना हाजत में शिवम झा नामक युवक की हुई मौत का मामला मुजफ्फरपुर पुलिस के लिए गले की हड्डी बन चुका है। कारण कि पूरे मामले को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का रुख काफी सख्त है। मानवाधिकार मामलों के जानकार अधिवक्ता एस.के.झा की याचिका पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लेते हुए जिले के डीएम और एसएसपी को नोटिस जारी किया है और कुल 18 बिंदुओं पर छह सप्ताह के अंदर जबाव देने को कहा है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के इस एक्शन के बाद जिले के प्रशासनिक महकमें में भूचाल आ गया है। बताते चले कि थाना हाजत में शिवम झा नामक युवक की हुई मौत के मामले को लेकर मानवाधिकार अधिवक्ता एस.के.झा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पूरी घटना से अवगत कराया था। उसके बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जिले के डीएम और एसएसपी को नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि थाना हाजत में उक्त युवक की मौत किन परिस्थितियों में हुई। इस पूरे प्रकरण में 18 ऐसे बिंदु हैं, जिस पर जबाव आने से ही मामले का खुलासा हो सकता है। डीएम और एसएसपी से जिन 18 बिंदुओं पर जबाव, आयोग के द्वारा माँगी गई है, वे निम्नलिखित हैं :-

(1) विस्तृत रिपोर्ट, जिसमें मृत्यु के सभी पहलुओं को शामिल किया गया हो (गिरफ्तारी/हिरासत का समय, स्थान और कारण सहित)।
(2) मृतक के खिलाफ दर्ज शिकायत और एफआईआर की प्रति।
(3) गिरफ्तारी ज्ञापन और निरीक्षण ज्ञापन की प्रति।
(4) क्या गिरफ्तारी की सूचना परिवार/रिश्तेदार को दी गयी थी?
(5) जप्ती ज्ञापन और रिकवरी ज्ञापन की प्रति।
(6) मृतक के मेडिकल कानूनी प्रमाण-पत्र की प्रति।
(7) सभी प्रासंगिक सीडी कैसेट की प्रतियाँ (सभी अंग्रेजी/हिंदी में सुपाठ्य और लिप्यनतरित होने चाहिए, घटना स्थल का साइट प्लान जिसमें सभी विवरण हो)।
(8) मृत्यु समीक्षा रिपोर्ट।
(9) पोस्टमार्टम रिपोर्ट (हिंदी/अंग्रेजी में टाइपिंग किया हुआ, ज़ख्म प्रतिवेदन के साथ)।
(10) पूरे पोस्टमार्टम प्रक्रिया का वीडियो कैसेट/सीडी।
(11) घटना स्थल की पूरी विवरण।
(12) विसरा की रासायनिक और हिस्टोपैथोलॉजी परीक्षा (यदि लागू हो)।
(13) एफएसएल रिपोर्ट के आधार पर मौत का अंतिम कारण।
(14) मजिस्ट्रीयल जाँच रिपोर्ट।
(15) मजिस्ट्रीयल जाँच रिपोर्ट पर की गई कार्रवाई रिपोर्ट।
(16) विभागीय कार्रवाई या आपराधिक कार्यवाही का अंतिम परिणाम/स्थिति, यदि कोई हो।
(17) सीबी/सीआईडी जाँच रिपोर्ट, यदि कोई हो।
(18) अधिकारियों को यह भी बताने का निर्देश दिया गया हैं कि हिरासत में मौत के इस मामले की रिपोर्ट 24 घंटे के भीतर आयोग को क्यों नहीं दी गई?

मानवाधिकार अधिवक्ता एस.के.झा ने बताया कि पुलिस लॉकअप में किसी भी व्यक्ति की मौत होना, मानवाधिकार उल्लंघन का अतिगंभीर मामला होता है। इस प्रकार के मामले में मानवाधिकार आयोग गंभीरतापूर्वक प्रत्येक बिंदु की जाँच करता है, उसके बाद ही कोई आदेश जारी करता है। काँटी थाना हाजत में हुई युवक की मौत का मामला मानवाधिकार उल्लंघन के अतिगंभीर श्रेणी का मामला है। मामले के सम्बन्ध में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एवं बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग ने अपने स्तर से जाँच शुरू कर दी है।

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