डूब रहा है सारा शहर, हाथ पर हाथ धरे बैठा है नगर निगम!

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अरविन्द कुमार

पानी की तरह बहाया गया पैसा पर नहीं बह पाया पानी!

मोतिहारी। सब का साथ और बस अपना विकास, कुछ इसी तर्ज पर कार्य चल रहा है मोतिहारी नगर निगम का । जहाँ सफाई के नाम पर  जनता का पैसा तो पानी की तरह बहाया गया पर शहर से पानी नहीं बह पाया । नतीजतन पूरा शहर जलमग्न है ।जनता कराह रही है । और नगर निगम के अधिकारी से लेकर महापौर तक एक दूसरे पर  आरोप थोपा थोपी कर रहे हैं । गौरतलब है कि जिस शहर से नेता, गांधी के स्वच्छता के स्लोगन  को लेकर अपने राजनीती कि मार्केटिंग करते है उस शहर का ये हाल है। उत्तर बिहार में हो रही लगातार बारिश के वजह से पूरा मोतीहारी शहर जलमग्न हो चुका है । यही हाल मोतिहारी शहर की भी है । शहर का सदर अस्पताल जो एक तरह से पानी में तैर रहा है । आपको बता दें  कि इस अस्पताल के भरोसे जिले की लगभग 60 लाख की आबादी जी रही है पर यह अस्पतला खुद गंदगी से बीमार हो चुका है ।इस अस्पताल में जो लोग अपना या परिजनों का  इलाज कराने आ रहे हैं वे खुद इस गंदगी से बीमार हो कर चले जा रहे है । 
हलाकि अस्पताल कि इस बदहाली पर सिविलसर्जन द्वरा मोतिहारीं नगर निगम के कार्यपालक पदाधिकारी को चिट्ठी पत्री के माध्यम से बार बार अवगत कराया गया बावजूद इसके कार्यपालक पदाधिकार इस समस्या को सायद बेवजह समझ सिविलसर्जन के गुहार वाले पत्र पर अम्ल करना मुनासिब नहीं समझा गया ।
हलाकि जल जमाव की स्थिति सिर्फ सदर अस्पताल की ही नहीं है बल्कि पूरा शहर जलमग्न हो चुका है । क्योंकि शहर का सभी नाला जाम हो चुका ।और  पानी नाले के ऊपर से बह रहा है । जबकि आपको बता दें कि शहर के बीचोबीच में मोतीझील है जिस झील में शहर में बने सभी नालों का आउटर पॉइंट बनाया गया है । वर्षा पूर्व अगर ईमानदारी पूर्वक नाले की सफाई हुई होती तो ऐसा दृश्य सामने नहीं आता ।

लेकिन सबसे कौतूहल का विषय ये है कि शहर को दो डिवीजन में बांटा गया है ।और दोनों डिवीजन में नगर निगम द्वरा सफाई के नाम पर 30 लाख रुपए प्रति माह खर्च किये जाते हैं लेकिन आप खुद समझिये की सफाई के नाम पर कितनी ईमानदारी से जनता के पैसे खर्च किये गए है कि शहर की हालत बद से बतदतर बनी हुई है । हालांकि इस समस्या से पीड़ित शहरवासी अब सफाई के नाम पर पैसे के लूट की जाँच की मांग कर रहे हैं ।

हलाकि जल जमाव की समस्या से खुद जूझ रही नगर निगम की महापौर अंजू देवी से जब सवाल किया गया कि  सफाई के नाम पर हर महीने अगर 30 लाख रुपए खर्च किये गए तो शहर की
ऐसी हालत कैसे हुए । तो वे इस सवाल अपनी जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ते हुए सारा आरोप कार्यपालक पदाधिकारी पर मढ़ दिए ।
इन सब के बीच नगर के साफ सफाई के साथ बिकास का जिम्मा जिस नगर निगम के पदाधिकारी के जिम्मे दिया गया है वे खुद बिचलित नजर आ रहे है क्योकि इनके कार्य शैली से निगम के सभी पार्षद व् महापौर तक नाराज है और सभी लोगो का आरोप अधिकारी पर ही है बाउजूद इनका साफ कहना है कि शहर के सफाई व् बिकास का कार्य चल रहा है और सभी समस्या से निजात जल्द मिल जाएगा ।

इन सब के बीच आपको बतादे की गांधी कि इस कर्म भूमि पर आजादी के इस अमृत महोत्सव को लेकर शहर में आए दिन जिला प्रशासन व् जन प्रतिनिधियों द्वरा जनता को जागरूक करने के लिए स्वच्छता से जुड़े विभिन्न तरह के कार्यक्रम किये जा रहे है । पर आप  अंदाजा लगाइये कि यहाँ के अधिकारी व् नेता स्वच्छता को लेकर खुद कितना जागरूक व कटिबद्ध है ? या इनका भाषण जनता के बीच  सिर्फ मंचों की शोभा बढ़ाती है समझना अब जनता को ही है । 

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