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मध्यकालीन संतों के पास ज्ञान का अक्षय भंडार: प्रोफेसर मृत्युंजय सिंह!

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रिपोर्ट- आशुतोष पांडेय


आज दिनांक 20 नवम्बर 2024 को महंथ महादेवानंद महिला महाविद्यालय आरा के हिंदी विभाग में गुरु नानकदेव एवं संत दरिया साहब पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया जिसके मुख्य अतिथि रहे वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर, हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मृत्युंजय सिंह। सर्वप्रथम, महंत महादेवानंद जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया तत्पश्चात गुरु नानकदेव एवं संत कवि दरिया साहब की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम को गति मिली। दीप प्रज्वलन गीत प्राची प्रिया ने गाया। महाविद्यालय गीत एवं स्वागत गान जागृति, जूही, प्राची प्रिया ने आवाज दी तथा म्युजिक पर साथ दिया श्रेयांस कुमार महाराजा कॉलेज के छात्र ने।
प्राचार्या प्रोफेसर मीना कुमारी ने सभी का स्वागत किया और अपने स्वागत भाषण में गुरु नानक के जीवन से संबंधित रोचक घटनाओं का जिक्र किया।
गुरु नानक की सच्चा सौदा और काबा से जुड़ी हुई उनकी प्रेरक कथा का उल्लेख किया। इसके साथ ही उन्होंने संत दरिया के निर्गुण का पाठ किया।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर मृत्युंजय सिंह ने बताया कि गुरु नानक को गुरु पर्व अर्थात् कार्तिक पूर्णिमा के दिन ज्ञान की प्राप्ति हुई थी जबकि उनका जन्म 15 अप्रैल 1469 को हुआ था। उन्होंने नानक जी को केंद्र में रखकर मध्यकाल के कई महत्वपूर्ण संतों पर बात की। उन्होंने माना कि इनके अनुभवजनित ज्ञान और आध्यात्मिक भूख ने इन्हें विशिष्टता प्रदान की। कबीरदास, रामानंद, रामानुज, दरिया साहब आदि संतों का योगदान समाज पर काफी प्रभावशाली रहा है। रामानंद के हवाले से उन्होंने बताया कि मध्यकाल के सभी संतों ने जाति -पाति, कर्मकांड, पाखंड आदि का विरोध किया। रामानंद ने कहा कि
जाति पाति पूछे नहीं कोई
हरि को भजे सो हरि का होई।उन्होंने यह अंकित किया कि आधुनिक काल की तुलना में मध्यकाल में कितना अक्षय भंडार था समाज को देने के लिए, जिनकी आज हम कल्पना भी नहीं कर सकते।
विभागाध्यक्ष डॉ सुधा निकेतन रंजनी ने संत दरिया पर अपना व्याख्यान देते हुए उनके साहित्यिक और सामाजिक योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने उनके जीवन की रोचक किंवदंतियों के माध्यम से उनके सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका को रेखांकित किया। उनके स्त्री संबंधी पदों से यह बताया कि संत दरिया किस प्रकार स्त्री और पुरुष के समानता की बात कर रहे थे।
अंत में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए हिंदी विभाग की डॉ अंजू कुमारी ने मुख्य अतिथि, प्रधानाचार्या, विभागाध्यक्ष एवं उपस्थित शिक्षक व शिक्षिकाओं शिक्षकेत्तरकर्मी, मीडिया कर्मी तथा छात्राओं के प्रति आभार प्रकट किया तथा दोनों ही संतों पर कबीर के प्रभाव को स्वीकार किया। कार्यक्रम का संचालन तृतीय सत्र की अंजलि कुमारी ने किया। कार्यक्रम में प्रोफेसर राजीव कुमार, डॉ सादिया हबीब, डॉ खुशबू कुमारी, डॉ कुमारी शिल्पा, डॉ निवेदिता, डॉ अमरेश, डॉ शिवस्वरूप, डॉ राकेश,अंजू कुमारी पीटीआई के साथ ही सभी विभाग से शिक्षक और छात्राएं उपस्थित रहे। कार्यक्रम में विशेष सहयोग हिंदी विभाग से खुशी,अदिति,सुनिधि, एकता, रागिनी, सिमरन आदि का रहा।

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