पद्म विभूषण शारदा सिन्हा का निधन, छठ के बीच शोक में डूबा पुरा बिहार!

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रिपोर्ट – अमित कुमार

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लोक संगीत की दुनिया में एक चमकता सितारा अब हमारे बीच नहीं रहा। सुप्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा का 72 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनके निधन से संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। हाल ही में अपने पति को खोने के बाद वे खुद भी बीमारी से जूझ रही थीं। आइए, विस्तार से जानते हैं उनकी जिंदगी के आखिरी दिनों की कुछ खास बातें।
बिहार की सुप्रसिद्ध लोक गायिका और लोक संगीत की अमूल्य धरोहर शारदा सिन्हा का आज निधन हो गया। 72 वर्षीय शारदा सिन्हा पिछले कुछ समय से गंभीर बीमारी का सामना कर रही थीं। उन्हें हाल ही में बोन मैरो कैंसर डिटेक्ट हुआ था, जिसके बाद उनका इलाज दिल्ली के एम्स के अंकोलॉजी मेडिकल डिपार्टमेंट में चल रहा था।

उनके पति का कुछ समय पहले ब्रेन हैमरेज के कारण निधन हो गया था। पति को खोने के बाद से ही शारदा सिन्हा की तबीयत में गिरावट देखने को मिल रही थी। उनकी इस स्थिति ने उनके चाहने वालों को भी चिंतित कर दिया था, जो उनके स्वास्थ्य में सुधार की कामना कर रहे थे।

शारदा सिन्हा अपने लोकगीतों से न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश में प्रसिद्ध थीं। छठ, होली, और विवाह के गीतों में उनकी आवाज़ लोगों के दिलों में बसी हुई है। उनके द्वारा गाए गीत, जैसे “कांच ही बांस के बहंगिया” और “पारण गीत,” आज भी लोगों की यादों में बसे हुए हैं।

उनके निधन की खबर से कला और संगीत जगत में गहरा शोक है। प्रशंसकों ने सोशल मीडिया पर अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि शारदा सिन्हा की मधुर आवाज़ और उनके गीतों की यादें हमेशा उनके दिलों में जिंदा रहेंगी।

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