Search
Close this search box.

नसबंदी के बावजूद महिला ने तीन बच्चों को दिया जन्म पहले से थे चार बच्चे!

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

रिपोर्ट – संतोष तिवारी

बिहार/मुजफ्फरपुर: नसबंदी के बावजूद महिला ने तीन बच्चों का जन्म दिया। पहले से इस दंपति को चार बच्चे थे। 2015 में
नसबंदी का ऑपरेशन कराए जाने के बाद से तीन बच्चों को जन्म हो चुका है। एक तरफ भारत सरकार देश में आबादी को रोकने के लिए कई कदम उठा रही है। परिवार नियोजन प्रोग्राम में आम लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने का पखवारा माना रही है। वहीं, दूसरी तरफ सरकारी अमले की लापरवाही उसमें पलीता लगा रही है। बच्चों के जन्म में अंतर रखने और सीमित
परिवार के लिए सबसे प्रभावी महिला नसबंदी मानी जाती है। फिर भी नसबंदी फेल होने के मामले बिहार में लगातार सामने आ रहे हैं। शिकायत की सुनवाई के दौरान दो बच्चों का जन्म
पूरा मामला, मुजफ्फरपुर जिले के गायघाट क्षेत्र के केवटसा गांव की रहने वाली जूली देवी और उनके पति नीरज कुमार सिंह का है। 2015 में नसबंदी होने के बाद भी इन्होंने दो बच्चों को जन्म दिया और फिर से गर्भवती हैं। परिजनों ने जूली की नसबंदी 2015 में गायघाट के सरकारी अस्पताल में कराई थी। नसबंदी ऑपरेशन होने के बावजूद भी गर्भ ठहर गया। गर्भ का पता चलने पर परिजनों ने तत्कालीन सिविल सर्जन के पास शिकायत दर्ज कराई और मुआवजे की मांग की। उसकी सुनवाई के दौरान ही जूली ने दो और बच्चों को जन्म भी दिया। नीरज कुमार सिंह के मुताबिक वो दूसरे के खेतों में मेहनत मजदूरी करके जीवन-यापन करते हैं। लगभग 20 साल पहले उनकी शादी जूली से हुई थी। परिवार में पहले से चार संतान हैं। जिसमें 2008 में बेटी कोमल कुमारी, 2009 में बेटा किसू कुमार, 2011 में बेटी वैष्णवी और 2013 में किश्मी कुमारी के जन्म के बाद परिवार सीमित रखने के लिए डॉक्टर की सलाह पर 2015 में पत्नी का परिवार नियोजन ऑपरेशन गायघाट पीएचसी में लगे कैंप में करा दिए। नसबंदी के तीन साल बाद महिला हो गई गर्भवती परिवार नियोजन ऑपरेशन होने के 3 साल बाद 2018 में उनकी पत्नी एक बार फिर से गर्भवती हो गई। जिसकी जानकारी उन्होंने तत्कालीन जिलाधिकारी को दी। जिलाधिकारी ने जांच का आदेश सिविल सर्जन को दिया। जांच के क्रम में ही 2018 में किशू कुमार और 2020 में छठी संतान के रूप में छठी कुमारी का जन्म हुआ। इस बीच उनकी पत्नी को तत्कालीन सिविल सर्जन की ओर से 6000 रुपए मुआवजे की राशि भी दी गई। परिवार नियोजन में बच्चों के बीच गैप रखने वाला इंजेक्शन अंतरा भी लगाया गया। अंतरा इंजेक्शन लगने के बाद उल्टी होने की शिकायत होने पर जांच कराई तो पता चला कि वो एक बार फिर से गर्भवती हैं। वहीं, नसबंदी ऑपरेशन फेल होने की शिकायत और संबंधित डॉक्टर पर कार्रवाई के लिए ये परिवार पिछले नौ वर्षों से स्वास्थ्य विभाग का चक्कर लगा रहा है। लेकिन वहां से कोई मदद नहीं मिली। इसके अलावा शासन की ओर से नसबंदी ऑपरेशन फेल होने पर मिलने वाली आर्थिक सहायता भी नहीं मिली। पूरे मामले को लेकर प्रभारी सिविल सर्जन का कहना है कि उन्हें इस मामले के बारे में कोई जानकारी नहीं है। क्योंकि ये नसबंदी फेल उनके समय का नहीं है, टीम बना कर मामले कि जांच कराई जाएगी।

बाइट:- जूली देवी ( नसबंदी कराने वाली महिला)

बाइट :- नीरज कुमार सिंह ( पीडत महिला के पति)

बाइट :- प्रभारी सिविल सर्जन मुजफ्फरपुर

Leave a Comment

और पढ़ें