जल प्रलय से सहमे है लोग,बोरियों के भरोसे बाढ़ से निपटने की तैयारी!

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पंकज कुमार ठाकुर के साथ अश्वनी श्रीवास्तव!

हम तो बोलेंगे हुजूर!

तो क्या इस बार भी बांध के नाम पर कई तटबन्धो की नीचे, खेला शुरू!

हर साल बाढ़ की त्रासदी झेलते हैं बिहार के कई जिला!

बिहार में हर साल लोगों को बाढ़ की त्रासदी झेलनी पड़ती है। और अभी मौसम ने दस्तक दी जिस तरह से बाढ़ की खबर आना शुरुआत हो गई है ।लोगों में से सिहरन से होने लगी है ।और यह बताने के लिए काफी है कि बारिश जब चरम पर होगी तो ग्रामीण इलाकों का हाल बेहाल होगा। यकीन नहीं आता तो नजर डालें गंडक नदी पर जहां नेपाल से हर साल तबाही पर सवार होकर उत्तर प्रदेश और बिहार में जल तांडव की शुरुआत होती है।

यह सीमाएं जहां बिहार के बगहा जिले को छूती है। और गंडक के बने बैराज पर नेपाल से ज्यादा पानी छोड़ा जाता है तो यहां कई गांव जलमग्न रहता है। एक बार की कहानी नहीं है साल में कम से कम तीन से चार बार यहां बाढ़ की भयावह स्थिति बनी रहती है। और बिहार के 1 जिले की बगहा की कहानी सिर्फ नहीं है। और हर साल बांध के नाम पर करोड़ों अरबों राशि कागजों पर खर्च कर बाबू बड़े आराम से डकार कर निकल लेते हैं। खैर अभी बारिश ने दस्तक दी है और बिहार के सभी नदी किनारे बालू बोरी भरकर टटबंध को दुरुस्त किया जा रहा है। सोचिए जरा नेपाल से जब चार से 5 क्यूसेक पानी छोड़ा जाएगा । उस समय यह जल कितना प्रलय और तबाही मचाएगा। ये साल की कहानी यही है। तो क्या इस बार भी बांध के नाम पर कई तट बंधो के नीचे बोरी में बालू भरकर या मिट्टी भरकर,
तटबंध को दुरुस्त किया जा रहा है या खेला हो रहा है। फिलहाल बोरियों के भरोसे बाढ़ से निपटने की तैयारी बिहार सरकार की चल रही है

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