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पार्टी सुप्रीमो के जन्मदिन पर राजद कार्यकर्ताओं ने लालू रसोई का किया आयोजन!

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रिपोर्ट: अविनाश कुमार

सीतामढ़ी। लालू प्रसाद यादव के जन्मदिन को सीतामढ़ी राष्ट्रीय जनता दल की ओर से सामाजिक न्याय सद्भावना दिवस के रूप में मनाया गया इस अवसर पर राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद अर्जुन राय ने कहा करो ना को देखते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष के जन्मदिन पर कोई उत्सव का आयोजन संभव नहीं हो सका किंतु जिला प्रखंड पंचायत गांवऔर स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं ने व्यक्तिगत रूप से लालू रसोई के माध्यम से अधिक से अधिक संख्या में गरीबऔर लाचार लोगों को भोजन कराया। उन्होंने कहा लालू प्रसाद का पूरा जीवन गरीबों के लिए समर्पित रहा है। वह सामाजिक न्याय के सबसे बड़े योद्धा हैं ।उन्होंने बिना किसी भेदभाव के समाज के सभी गरीब वर्गों के लिए काम किया है। लालू जी के जन्मदिन पर कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सीतामढ़ी मुख्यालय डुमरा के विश्वनाथ पुर लालू यादव चौक के समीप वृक्षारोपण कार्यक्रम किया गया और गरीबों को भोजन कराया गया। उसके बाद सीतामढ़ी सरकारी बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन पर भी लालू रसोई के माध्यम से भोजन कराया गया। उन्होंने कहा पार्टी के कार्यकर्ताओं ने केक की जगह गरीबों की थाली में भोजन परोसा। वह वही थाली है जिसे बजाकर गरीब जनता ने भाजपा का विरोध किया था। उन्होंने कहा लालू जी गरीब गुरुबों, पिछड़ों ,दलितों,शोषितों, वंचितों और जरूरतमंदों के हक की लड़ाई लड़ने वाले ऐसे राजनेता है जिसका पूरा जीवन समाज को समर्पित रहा है। गरीबों के प्रति उनके दिल में हमदर्दी रही है और उनके हक की लड़ाई लड़ना लालू जी की पहचान है। आज पूरे देश में कोरो ना नामक विपदा है और सरकारी तंत्र पूरी तरह से फेल है। ऐसे में लालू जी की याद आती है। दुख की घड़ी में फिर भी लालू जी अपने स्तर से गरीबों की आवाज को फेसबुक और ट्विटर के माध्यम से लगातार उठा रहे हैं। आज लाखों लोगों की अजीविका संकट में है और लाखों लोग असमय मौत के मुंह में समा चुके हैं। फिर भी देश की राजनीति में कोई हलचल नहीं है। ऐसी परिस्थिति में लालू जी को उनके संघर्ष के लिए याद करना आज की आवश्यकता है। उन्होंने हमेशा गरीबों के हर संभव मदद करने की कोशिश की ।यही कारण है गरीबों के प्रति उनके सेवा और समर्पण को देखते हुए राजद के द्वारा लालू जी के जन्मदिन को सामाजिक न्याय सद्भावना दिवस के रूप मे मनाया जा रहा है।
लालू प्रसाद यादव के सत्ता में आने पर वंचित समाज को वह सामाजिक हैसियत और सम्मान मिलना शुरू हुआ जिसके लिए वह सदियों से हकदार थे। यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है लालू जी की सामाजिक नीति और सोच का ही परिणाम था कि बाद के दिनों में सत्ता और समाज पर एकाधिकार रखने वाली शक्तियां कमजोर हुई। यही कारण था 1990 से लेकर 2000 के बीच अपार जन समर्थन उन्हें मिला और वे एक महानायक बन कर उभरे । उन्होंने बिहार को सामाजिक रूप से बदलने की कोशिश की। बिहार एक पिछड़ा राज्य जरूर है पर सामाजिक वैचारिकी के मामले में बेहद उर्वर है। यहां के समतावादी और सामाजिक न्याय आंदोलन में आज भी महात्मा फुले, पेरियार,अंबेडकर, राहुल सांकृत्यायन, लोहिया, अब्दुल कयूम अंसारी, रेनू और जगदेव प्रसाद जैसे असंग नायकों की विरासत पर गर्व करने वालों की कमी नहीं है। लालू जी ने उनकी विरासत को अपने कार्यकाल में आगे बढ़ाने का काम किया है ।जेपी आंदोलन के गर्भ से निकलने वाले लालू जी ने अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया। वे संघ और भाजपा की सांप्रदायिक राजनीति के खिलाफ सदा एक दीवार बनकर खड़ा रहे। लालू यादव को इसकी सजा भी भुगतनी पड़ी ।चारा घोटाला तो एक बहाना है। दरअसल लालू जी से खार खाए शक्तियों को उन्हें सजा दिलाकर एक उदाहरण पेश करना था, जिससे कोई दूसरा लालू ना पैदा हो। सामाजिक न्याय के प्रतीक लालू जी और नीतीश जी में यही अंतर है कि लालू जी ने कभी भी सामाजिक न्याय से समझौता नहीं किया और अवसर वाद की राजनीति नहीं की। सत्ता के लिए सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। किंतु नीतीश कुमार का पूरा राजनीति सफर ही सत्ता के लिए समझौता और अवसरवादी वाला रहा है। मौके पर विधायक मुकेश कुमार यादव ,राजद जिलाध्यक्ष मोहम्मद शफी खान, पूर्व विधायक सैयद अबू दुजाना, सुनील कुशवाहा, युवा प्रदेश उपाध्यक्ष जलालुद्दीन राजद नेता उपेंद्र विद्रोही, जिला प्रधान महासचिव लालू प्रसाद यादव, राजद के वरिष्ठ नेता पूर्व सभापति मनोज कुमार, राजीव कुमार ,मुन्ना, गणेश गुप्ता, अरविंद कुमार ,पप्पू सुरेंद्र प्रसाद यादव ,ईश्वर नारायण सा ह,अरुण यादव, हरि ओम शरण, शैलेंद्र अहिराज, घनश्याम कुमार, डॉक्टर मंसूर आलम, पूर्व मुखिया रघुनाथ राय ,नसीब खा, अमर कुमार ,अरविंद कुमार, पप्पू, राज किशोर कुशवाहा ,जवाहर यादव, श्याम किशोर यादव, विजय महाजन, रामनाथ यादव, पूर्व प्रमुख श्याम राय, पंकज कुमार पप्पू ,हिमांशु कुमार, राजद नेत्री सीमा गुप्ता, सरोज यादव ,सुधीर यादव, अरविंद मंडल, डॉक्टर शत्रुघन यादव ,शंभू कुमार आदि कार्यकर्ता शामिल थे।

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