:- रागिनी शर्मा ! (विशेष संवाददाता)
पिछले 15 वर्षों में राज्य सरकार ने तकनीकी शिक्षा पर बल देते हुए इसकी क्षमता को कई गुना तक बढ़ाया है और सरकार तकनीकी शिक्षा के गुणात्मक सुधार के प्रति कृत संकल्पित है।
सी एम ने कहा है कि “सन् 1954 से 2005 तक राज्य में कुल 3 अभियंत्रण महाविद्यालय और 13 सरकारी पाॅलिटेक्निक संस्थान थे, जिनकी प्रवेश क्षमता क्रमश: लगभग 800 एवं 3840 थी।देश के पुराने अभियंत्रण महाविद्यालयों में से एक बिहार काॅलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पटना को केन्द्र में रहते हुए वर्ष 2004 में NIT(National Institute of Technology) में परिवर्तित कराया।पिछले 15 साल में 38 अभियंत्रण महाविद्यालयों तथा 31 पाॅलिटेक्निक संस्थानों की स्थापना की गयी है, जिनकी प्रवेश क्षमता क्रमश: 9975 और 11,332 है। अब राज्य के प्रत्येक जिले में कम से कम एक अभियंत्रण संस्थान स्थापित है। उच्च तकनीकी शिक्षा में विकास का प्रयास जारी रहेगा।”
हालाँकि कोरोना काल मे स्वास्थ्यकर्मियों की कमी से हाँफते अस्पतालों के बारे में सीएम ने कुछ नही कहा।
ये सही है कि इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक महाविद्यालयों में वृद्धि हुई है। पर कोरोना ने हमे यह भी बताया है कि हमे जितनी जरूरत तकनीकी विशेषज्ञता की है उतनी ही स्वास्थ्य सेवाओं और स्वास्थ्यकर्मियों की है।