स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाली जीवित महिला डॉक्टर को स्वास्थ्य विभाग ने किया मृत घोषित!

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रिपोर्ट :अरविंद कुमार

कुछ कर्मियों की मिलीभगत से डॉक्टर को मृत घोषित कर उनकी सेवान्त लाभ की राशि के गबन का किया गया प्रयास!

सेवानिवृत्ति लेने के बाद ओमान चली गई महिला डॉक्टर को नहीं मिला एलआईसी और जीपीएफ का सेवान्त लाभ!!

सात समुन्दर पार महिला डॉक्टर ने अपने जिन्दा होने का सबूत भेज स्वास्थ्य विभाग की करतूत पर से उठाया पर्दा!

डीएम द्वारा कराए गए शुरुआती जांच में स्टेनो बाबू की फंसी गर्दन!

धोखे से विश्वास में लेकर स्टेनो ने कराया हस्ताक्षर: सिविल सर्जन

मोतिहारी। पूर्वी चम्पारण स्वास्थ्य विभाग का नयाब करनामा सामने आया है। अपने ही अस्पताल से सेवानिवृत महिला डॉक्टर को मृत घोषित कर कर्मियों ने सेवान्त लाभ का घपला किया है। विभागीय कागजातों में मृत डॉक्टर अमृता जायसवाल ने डीएम और सिविल सर्जन को फोन कर और वाट्सएप्प मैसेज भेज कर अपने को जीवित बताया है। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग में एक और खुलासे से हडकम्प सा मचा हुआ है।डॉ.अमृता जायसवाल छौड़ादानो प्रखंड स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बेला गाँव में पदस्थापित थी। उन्होंने वर्ष 2013 में स्वैच्छिक सेवानिवृति लिया था। लेकिन उन्होंने सेवान्त लाभ नहीं लिया। सेवान्त लाभ की राशि में घपले बाजी की सूचना पर पूर्वी चम्पारण डीएम शीर्षत कपिल अशोक ने तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन किया है। टीम के पहले जांच में डॉ. अमृता जायसवाल के सेवान्त लाभ के फाइल पर धोखा से सिविल सर्जन के स्टेनो मनोज शाही ने हस्ताक्षर करा लिया। लेकिन, जब स्टोनो पर शक हुआ तो इसकी तहकीकात शुरू हुई है। तीन सदस्यीय जांच टीम अपनी जांच रिपोर्ट डीएम को सौंपेगी।

जानकारी के अनुसार डॉ. अमृता जायसवाल ने अविभाजित बिहार के स्वास्थ्य विभाग में 13 नवंबर 1990 को योगदान दिया था। उनकी पहली पोस्टिंग हजारीबाग में हुई थी, उसके बाद कई जगह उनकी पोस्टिंग हुई। 8 जुलाई 2002 को उन्होंने पूर्वी चंपारण के स्वास्थ्य विभाग में अपना योगदान दिया और 7 जुलाई 2003 को छौड़ादानो प्रखंड के एपीएचसी बेला गाँव में प्रभारी चिकित्सा प्रभारी के रूप में पदस्थापना हुई। बेला एपीएचसी में पदस्थापना के दौरान हीं उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृति की अर्जी लगाई और सरकार ने उनके अर्जी को मंजूर करते हुए ऐच्छिक सेवानिवृति की अनुमति दे दिया। डॉ. अमृता जायसवाल ने 18 मार्च 2013 को सेवानिवृति ले लिया और वह ओमान चली गयी। लेकिन उन्हें एलआईसी और जीपीएफ का सेवान्त लाभ नहीं मिला। इधर स्वास्थ्य विभाग के कुछ कर्मियों की मिलीभगत से डॉ. अमृता जायसवाल को मृत घोषित करके उनकी सेवान्त लाभ की राशि के गबन का प्रयास किया गया। जिस पर सिविल सर्जन अखिलेश्वर प्रसाद सिंह के हस्ताक्षर भी हो गये। इस बात की जानकारी जब डॉ.अमृता जायसवाल को लगी तो उन्होंने इस संबंध में डीएम शीर्षत कपिल अशोक, सिविल सर्जन अखिलेश्वर प्रसाद सिंह समेत कई अधिकारियों को व्हाट्सएप मैसेज भेजकर खुद को जीवित बताते हुए सारे मामले की जानकारी दी है।

इस बावत सिविल सर्जन डॉ. अखिलेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि डॉ. अमृता जायसवाल छौड़ादानो प्रखंड स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बेला में पदस्थापित थी। उन्होंने वर्ष 2013 में स्वैच्छिक सेवानिवृति लिया था। लेकिन उन्होंने सेवान्त लाभ नहीं लिया था। मामले का खुलासा होने पर सिविल सर्जन डॉ.अखिलेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि डॉ. अमृता जायसवाल के सेवान्त लाभ के फाइल पर धोखे से उनके स्टेनो मनोज शाही ने हस्ताक्षर करा लिया है। लेकिन जब मुझे स्टेनो पर शक हुआ तो इसकी तहकीकात शुरू किया गया है।

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